Hindi, asked by ravikumarravikumar78, 2 months ago

पाट महादेइ ! हिये न हारू। समुझि जीउ, चित चेतु सँभारू।।
भौर कँवल सँग होइ मेरावा। संवरि नेह मालति पहँ आवा।।
पपिहै स्वाती सौं जस प्रीती। टेकु पियास, बाँधु मन थीती।।
धरतिहि जैस गगन सौं नेहा। पलटि आव बरषा ऋतु मेहा।।
पुनि बसंत ऋतु आव नवेली। सो रस, सो मधुकर, सो बेली।।
जिन अस जीव करसि तू बारी। यह तरिवर पुनि उठिहि
पुनि उठिहि सँवारी।।
दिन दस बिनु जल सूखि बिधंसा।

पुनि सोइ सरवर, सोई हंसा।।
मिलहिं जो बिछुरे साजन, अंकम भेटि गहंत।
तपनि मृगसिरा
जे सहैं, ते अद्रा पलुहंत॥3॥व्याख्या

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Answered by torres03
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