Hindi, asked by shaury74, 1 year ago

पेट्रोलिम संरक्षण पर निबन्ध ​

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Answered by ishat35
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Explanation:

पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ (पीसीआरए), भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तत्वावधान में स्थापित एक पंजीकृत संस्था है। 1978 में एक गैर लाभकारी संगठन के तौर पर पीसीआरए का गठन, भारत में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया था। यह तेल की आवश्यकता पर देश की अत्याधिक निर्भरता को कम करने के लिए पेट्रोलियम संरक्षण नीति और रणनीति प्रस्तावित करने में सरकार की सहायता करता है, जिनका मुख्य उद्देशय न सिर्फ धन के अपव्यय को रोकना है अपितु तेल के बेजा इस्तेमाल से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी कम करना है। पिछले कुछ वर्षों में पीसीआरए ने पर्यावरण सुरक्षा और स्थायी विकास अर्जित करने के प्रयोजन हेतु ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों के उपयोग में उत्पादकता सुधारने में अपनी भूमिका का विस्तार किया है।

गैसोलीन या पेट्रोल एक पेट्रोलियम से प्राप्त/व्युत्पन्न तरल-मिश्रण है। इसे प्राथमिकता से अन्तर्दहन इंजन में ईंधन के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसे एसीटोन की तरह एक शक्तिशाली घुलनशील द्रव्य की तरह भी प्रयोग किया जाता है। इसमें कई एलिफैटिक हाइड्रोकार्बन होते हैं, जिसके संग आइसो-आक्टेन या एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे टॉलुईन और बेन्ज़ीन भी मिलाये जाते हैं, जिससे इसकी ऑक्टेन क्षमता (ऊर्जा) बढ़ जाये। इसका वाष्पदहन तापमान शून्य से 62 डिग्री (सेल्सियस) कम होता है, यानि सामान्य तापमान पर इसका वाष्प दहनशील होता है। इसी वजह से इसे अत्यंत दहनशील पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है। ऐतिहासिक रूप से सीसा का उपयोग गैसोलीन में किया जाता था, लेकिन वर्ष 2000 में इसे हटा दिया गया था।

भारत में इसपर डीज़ल के मुकाबले अधिक कर लगाया जाता है जिससे यह थोड़ा महंगा होता है। कई ठंडे देशों में इसको प्राथमिकता से प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि बहुत कम तापमान में इसकी ज्वलनशीलता बाक़ी ईंधनों के मुकाबले अधिक होती है।

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