पुत्र पेम कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट पर तर्क पूर्ण अपने विचार व्यक्त किजीए।
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बाबू चैतन्यदास ठहरे पूंजीवादी व्यक्ति , डॉक्टर के यह कह देने के बाद की अब उनका बेटा दावा से ठीक नहीं हो सकता , किसी सेनेटोरियम में भेज देने से शायद वह ठीक हो जाए , वह बड़े चिंतित हो गए। ... धन प्रेम के कारण पुत्र प्रेम से वह हमेशा के लिए हाथ धो बैठते हैं । इसी प्रकार से कहानी का शीर्षक पूर्ण रूप से सार्थक है। Give me thanks
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