पुत्र प्रेम कहानी के मुख्य पात्र चैतन्य दास का चरित्र चित्रण कीजिए
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पुत्र प्रेम कहानी के मुख्य पात्र चैतन्य दास का चरित्र चित्रण कीजिए |
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मचंद द्वारा रचित प्रसिद्ध कहानी पुत्र-प्रेम एक पिता की हृदयहीनता और संवेदनहीनता का अत्यंत मार्मिक चित्रांकन करता है। भारतीय समाज में परिवार का विशेष महत्त्व है।
बाबू चैतन्यदास शहर के जाने-माने वकील थे जिन्होंने अर्थशास्त्र खूब पढ़ा था । उनका स्पष्ट मानना था कि यदि खर्च करने के बाद स्वयं का या किसी दूसरे का उपकार नहीं होता है तो वह खर्च व्यर्थ है और उसे नहीं करना चाहिए। बाबू चैतन्यदास जी ने अर्थशास्त्र को अपने जीवन का आधार बना लिया था।
बाबू चैतन्यदास कंजूस और पैसा खर्च नहीं करने वाले चरित्र के थे | उनका यह कहना था की यदि लाभ न हो तो पैसा खर्च नहीं करना चाहिए |
Answer:बाबू चैतन्यदास शहर के जाने-माने वकील थे जिन्होंने अर्थशास्त्र खूब पढ़ा था । उनका स्पष्ट मानना था कि यदि खर्च करने के बाद स्वयं का या किसी दूसरे का उपकार नहीं होता है तो वह खर्च व्यर्थ है और उसे नहीं करना चाहिए। बाबू चैतन्यदास जी ने अर्थशास्त्र को अपने जीवन का आधार बना लिया था।अपने पुत्र प्रभुदास को तपेदिक होने पर वे डॉक्टर के कहने पर उन्हें इटली सेनेटोरियम भेजने का सुझाव अमान्य कर देते है | वस्तुत: तीन हज़ार :खर्च करने पर भी डॉक्टर इसकी निश्चितता नहीं देते | जबकी छोटे बेटे को जमीन बंधक रखकर वे पढ़ने इंग्लेंड भेज देते है |
बाबू चैतन्यदास अपने पूर्वजों की संचित संपत्ति को अनिश्चित हित की आशा पर बलिदान नहीं करना चाहते थे। प्रभुदास की मृत्यु हो जाती है | घाट पर उनकी मुलाकात ऐसे युवक से होती है जो अपने बूढ़े पिता को मणिकर्णिका घाट पर लाने हेतु अपने लाखो रुपिए खर्च कर देता है | उसकी उदारता और शब्द से उनका हृदय परिवर्तित हो जाता है । बाबू चैतन्यदास जी को अपनी हृदयहीनता, आत्मशून्यता और इस भौतिक दुनिया के धन-दौलत एवं ऐश्वर्य अत्यंत भयंकर जान पड़ते है ।
अपने शोक संतप्त हृदय की शांति के लिए वे प्रभुदास की अंत्येष्टि पर हजारों रुपए खर्च करते है और यह उनका प्रायश्चित भी था एवं अपने दुखी मन को शांत करने का उपाय भी।
हम कह सकते हैं कि बाबू चैतन्यदास ने कृपणता के कारण अपने परिवार के भावनात्मक रिश्ते की तिलाजंलि देकर अपनी संपत्ति की रक्षा की और अंतत: अपने पुत्र को खोकर आत्म-ग्लानि में डूब गए।