Hindi, asked by spdsm9rishabh, 2 months ago

पुत्र वियोगिनी बुढ़िया माँ और संभ्रांत अमीर माँ के दुखों को स्पष्ट कीजिए​

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Answered by NikitaBK
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Answer:       mark me as a brainlist                                                                                                                                          बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई कि उस संभ्रांत महिला के पुत्र की मृत्यु पिछले साल ही हुई थी। पुत्र के शोक में वह महिला ढ़ाई महीने बिस्तर से उठ नहीं पाई थी। उसकी तीमारदारी में डॉक्टर और नौकर लगे रहते थे। शहर भर के लोगों में उस महिला के शोक मनाने की चर्चा थी।

Explanation:

बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद आई क्योंकि उसके साथ भी ठीक ऐसी ही घटना घटी थी। वह अपने जवान बेटे की मृत्यु के कारण अढ़ाई मास तक पलंग से न उठ सकी थी। पंद्रह-पंद्रह मिनट पर मूर्च्छित हो जाती थी। शहर भर के लोगों के हृदय उसके पुत्र के शोक को देखकर द्रवित हो उठे थे।

उसकी अवस्था में सुधार लाने के लिए डॉक्टरों का भी प्रबंध किया गया था। दूसरी तरफ यहाँ लोग बुढ़िया पर ताने कस रहे थे। उसपर तरह-तरह के आरोप लगा रहे थे। ऐसा दृश्य देखकर लेखक को लगा कि दुख मनाने का भी अधिकार होता है। दुख मनाने के लिए भी पर्याप्त पैसे और समय होना चाहिए।

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