India Languages, asked by faridsiddique7509, 6 months ago

पुत्रस्य दैन्यं दृष्ट्वा (अहं)रोदिमि।
रेखाकितसर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्।
(क) वृषभाय (ख) शक्राय (ग) सुरभये​

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Answered by nehetemansi
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Answer:

ग) सुरभये

Is the correct answer...

Answered by niteshrajputs995
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Answer:

उपरोक्त पाठ में मानवीय मूल्यों की पराकाष्ठा दिखाई गई है। यद्यपि माता के हृदय में अपनी सभी सन्ततियों के प्रति समान प्रेम होता है, पर जो कमजोर सन्तान होती है उसके प्रति उसके मन में अतिशय प्रेम होता है।

(ग) सुरभये

Explanation:

प्रस्तुत पाठ्यांश महाभारत से उद्धृत है, जिसमें मुख्यतः व्यास द्वारा धृतराष्ट्र को एक कथा के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि तुम पिता हो और एक पिता होने के नाते अपने पुत्रों के साथ-साथ अपने भतीजों के हित का ख्याल रखना भी उचित है। इस प्रसंग में गाय के मातृत्व की चर्चा करते हुए गोमाता सुरभि और इन्द्र के संवाद के माध्यम से यह बताया गया है कि माता के लिए सभी सन्तान बराबर होती हैं। उसके हृदय में सबके लिए समान स्नेह होता है। इस कथा का आधार महाभारत, वनपर्व, दशम अध्याय, श्लोक संख्या 8 से श्लोक संख्या 16 तक है। महाभारत के विषय में एक श्लोक प्रसिद्ध है,

धर्मे अर्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।

यदिहास्ति तवन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित् ।।

अर्थात्- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन पुरुषार्थ-चतुष्टय के बारे में जो बातें यहाँ हैं वे तो अन्यत्र मिल सकती हैं, पर जो कुछ यहाँ नहीं है, वह अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है।

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