Hindi, asked by charvi716, 3 months ago

पिता संसार दर्पण कुत्ते ने किस तरह से अपना दिमाग लगाया​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

आदमी ने एक बनवाया महल था शानदार।

काँच अंदर की तरफ उसमें जड़े थे बेशुमार॥

एक कुत्ता जा फँसा उसमें अचानक एक बार।

देखते ही सैकड़ों कुत्ते हुआ वह बेकरार॥

वह समझता था उसे वे घूरते हैं घेरकर।

क्योंकि खुद था देखता आँखें तरेर-तरेरकर॥

वह न था कमजोर दिल का बल्कि रखता था दिमाग।

छू गया जैसे किसी के फूस के घर में चिराग॥

वह उठा झुँझला, उधर भी सैकड़ों झुँझला उठे।

मुँह खुला उसका, उधर भी सैकड़ों मुँह बा उठे॥

त्योरियाँ उसकी चढ़ी, तो सैकड़ों की चढ़ गईं।

एक की गरदन बढ़ी, तो सैकड़ों की बढ़ गईं॥

भूँकने जब वह लगा, देने लगा गुंबद जवाब।

ठीक आमद खर्च का मिलने लगा उसको जवाब॥

वह समझता ही रहा, सब दुश्मनों की चाल है।

पर नहीं वह जानता था, सब उसी का हाल है॥

भूँकता ही वह रहा जब तक कि उसमें जान थी।

महल की दुनिया उसी की नकल पर हैरान थी॥

ठीक शीशे की तरह तुम देख लो संसार है।

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Answered by Anonymous
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Answer:

संसार - दर्पण कविता रामनरेश त्रिपाठी द्वारा लिखी गई है । इस कविता में कवि संसार के बारे में वर्णन किया है । इस संसार में फूलों के लिए सारा जगत फूल है और कांटों के लिए कांटा जैसा है । जो जैसा है , उसे दूसरे वैसा ही प्रतीत होते हैं । जो हम मैं नहीं है वो दूसरों में देख पाना कैसे संभव होगा । हम सुंदर को खोजने के लिए पूरी दुनिया घूम लेते है लेकिन हमे पता ही नहीं होता अगर हम ही अंदर से सुंदर नहीं होंगे तो बहार दुनिया में कैसे मिलेगा । संसार एक दर्पण है , जो हमें यह बताता की हम क्या अच्छा कर रहे है क्या नहीं । संसार में तरह तरह के लोग रहते है । हम दूसरों में जो देखते है उसी की नकल करने लग जाते है । जब तक सभी में शिव और सुन्दर के दर्शन नहीं होगे , तब तक हमें जान लेना चाहिए कि इस दुनिया में खोट रह गई है ।

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