पाट
याख्या करें:
क)
हमारी भीतरी मनोवृत्ति प्रतिक्षण नए-नए रंग दिखाया करती है, वह प्रपंचात्मक संसार का एक बड़ा पख
आईना है, जिसमें जैसी चाहो वैसी सूरत देख लेना कोई दुर्घट बात नहीं है ।
प
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Hello I am Priyanshu chaudhary
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