पितृयज्ञ किस प्रकार किया है ?
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Answer. सत्य, आस्था और निर्मल मन से किये गये कर्म को श्राद्ध कहते है एंव जिस कर्म से माता-पिता और गुरू की आत्मा तृप्त हेाती है, उसे तर्पण कहते है। ... जिससे हमारे आने वाली पीढ़ी अपने माता-पिता का सम्मान व आदर करें। यह यज्ञ सम्पन्न होता है, सन्तानोत्पत्ति से।
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श्राद्ध और तर्पण का अर्थ :
सत्य और श्रद्धा से किए गए कर्म श्राद्ध और जिस कर्म से माता, पिता और आचार्य तृप्त हो वह तर्पण है। वेदों में श्राद्ध को पितृयज्ञ कहा गया है। यह श्राद्ध-तर्पण हमारे पूर्वजों, माता, पिता और आचार्य के प्रति सम्मान का भाव है।
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