पाटलिपुत्र के उदय के जिम्मेदार किन्हीं दो कारकों का विश्लेषण कीजिए ।
Answers
स्पष्टीकरण:
- सूत्र के अनुसार, इस शहर की नींव उदयिन ने की थी। शोण-गंगा के संगम कोण में बसने के कारण सुरक्षा और व्यवसाय दोनों के साथ पाटलिपुत्र का महत्व तेजी से बढ़ रहा था। इस शहर को लगभग 2000 साल पहले पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था।
- इसी नाम से पटना में एक रेलवे स्टेशन भी है। प्राचीन काल से प्राचीन काल में पाटलिपुत्र या पाटलिपुत्र का उपयोग किया जाता था। पाटलिपुत्र वर्तमान पटना का नाम था। इतिहास के अनुसार, सम्राट अजातशत्रु के उत्तराधिकारी उदयिन ने अपनी राजधानी को पाटलिपुत्र से राजघाट स्थानांतरित कर दिया और बाद में चंद्रगुप्त मौर्य ने यहां साम्राज्य स्थापित किया और अपनी राजधानी स्थापित की।
Answer:
Explanation:
]बिहार की राजधानी पटना का पुराना नाम पाटलिपुत्र है।[2] पवित्र गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसे इस शहर को लगभग 2000 वर्ष पूर्व पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। इसी नाम से अब पटना में एक रेलवे स्टेशन भी है।[1] पाटलीपुत्र अथवा पाटलिपुत्र प्राचीन समय से ही भारत के प्रमुख नगरों में गिना जाता था। पाटलीपुत्र वर्तमान पटना का ही नाम था। इतिहास के अनुसार, सम्राट अजातशत्रु के उत्तराधिकारी उदयिन ने अपनी राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य ने यहां साम्राज्य स्थापित कर अपनी राजधानी बनाई।
हर्यक वन्श]] के शासक अजातशत्रु ने अपनी राजधानी राजगृह से बदलकर यहां स्थापित की, क्योंकि वैशाली के लिच्छवियों से संघर्ष में उपयुक्त होने के कारण पाटलिपुत्र राजगृह की अपेक्षा सामरिक दृष्टि से अधिक रणनीतिक स्थान पर था। उसने गंगा के किनारे यह स्थान चुना और अपमा दुर्ग स्थापित कर लिया। उस समय से ही इस नगर का लगातार इतिहास रहा है - ऐसा गौरव दुनिया के बहुत कम नगरों को हासिल है। बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध अपने अन्तिम दिनों में यहां से गुजरे थे। उन्होने ये भविष्यवाणी की थी कि नगर का भविष्य उज्जवल होगा, पर कभी बाढ़, आग या आपसी संघर्ष के कारण यह बर्बाद हो जाएगा।
मौर्य साम्राज्य के उत्कर्ष के बाद पाटलिपुत्र सत्ता का केन्द्र बन गया। चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य बंगाल की खाड़ी से अफ़ग़ानिस्तान तक फैल गया था। शुरूआती पाटलिपुत्र लकड़ियों से बना था, पर सम्राट अशोक ने नगर को शिलाओं की संरचना मे तब्दील किया। चीन के फाहियान ने, जो कि सन् 399-414 तक भारत यात्रा पर था, अपने यात्रा-वृतांत में यहां के शैल संरचनाओं का जीवन्त वर्णन किया है।
मेगास्थनीज़, जो कि एक युनानी इतिहासकार और चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक राजदूत के नाते आया था, ने पाटलिपुत्र नगर का प्रथम लिखित विवरण दिया। ज्ञान की खोज में, बाद में कई चीनी यात्री यहां आए और उन्होने भी यहां के बारे में, अपने यात्रा-वृतांतों में लिखा है।
इसके पश्चात नगर पर कई राजवंशों का राज रहा। इन राजाओं ने यहीं से भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया। गुप्त वंश के शासनकाल को प्राचीन भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है। पर इसके बाद नगर को वह गैरव नहीं मिल पाया जो एक समय मौर्य वंश के समय प्राप्त था।