पाठ-1
ओ३म् ध्वज
सुधा बरसाने
जयति ओ३म् ध्वज व्योम-बिहारी।
विश्व-प्रेम-प्रतिमा अति प्यारी।।
सत्य
वाला
स्नेह-लता सरसाने वाला
साम्य-सुमन विकसाने वाला
विश्व-विमोहक भवभयहारी।।1।।
इसके नीचे बढ़े अभय-मन।
सत्पथ पर सब धर्मधुरी जन।
वैदिक रवि का हो शुभ उदयन।
आलोकित होवें दिशि सारी।। 2 ।।
इससे सारे क्लेश शमन हों।
दुर्मति दानव द्वेष दमन हों।
अति उज्ज्वल अति पावन मन हों।
प्रेम तरंग बहें सुखकारी।। 3 ।।
इसी ध्वजा के नीचे आकर।
ऊँच नीच का भेद-भुलाकर ।
मिले विश्व मुद मंगल गाकर ।
पन्थाई पाखंड
बिसारी।।4।।
नैतिक शिक्षा (कक्षा-8)/7
( Is path se do MCQ que banae vo bhi and ke sath)
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१) यहां पर किस प्रकार के ध्वज की बात हो रही है ?
क) तिरंगे की ख) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ध्वज की
उत्तर - ख
२) ध्वज के नीचे खड़े होकर क्या भुलाने की बात की गई है?
क) उच्च नीच का भेद ख) संस्कार
उत्तर - क
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