पाठ-12
राष्ट्रीय प्रार्थना (सर्वहित प्रार्थना)
7 अभ्यास
1. ब्राह्मण तथा क्षत्रियों के क्या कर्तव्य है?
2 वैश्य व शूद्रों के कर्तव्य बताइए?
3. गोधन की सुरक्षा से क्या लाभ हैं?
ओ३म् आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम
आ राष्ट्र राजन्यः शूरुइषव्याऽतिव्याधी महारयो जायताम
दोग्नी धेनुर्वोढाऽनड्वानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा जिष्णु
रयेष्ठाः सभेयो युवाऽस्य यजमानस्य वीरो जायताम् ।
निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु, फलवत्यो ना
औषधयः पच्यन्ताम्, योगक्षेमो नः कल्पताम्॥
9ब्रह्मन् स्वराष्ट्र में हो, द्विज ब्रह्म-तेजधारी।
क्षत्री महारथी हों, अरि-दल विनाशकारी।।
होवें दुधारू गौवें, पशु अश्व आशुवाही।
आधार राष्ट्र की हों, नारी सुभग सदा ही।
बलवान् सभ्य योद्धा, यजमान-पुत्र होवें।
इच्छानुसार वर्षे पर्जन्य ताप धोवें।
फल-फूल से लदी हों औषध अमोघ सारी।
हो योग-क्षेमकारी, स्वाधीनता हमारी॥
भावार्थ : हमारे स्वतंत्र भारत देश में जब ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य
व शूद्र अपने कर्तव्यों का पूर्णतः पालन करेंगे, गोधन तथा अन्य उपयोगी
पशुओं की सुरक्षा व वृद्धि की जाएगी, समय पर वर्षा होगी जिससे कि
अन्न, वनस्पति तथा औषधियों की कमी न हो। नारियों को पूर्ण सम्मान
मिलेगा, यहाँ के नागरिक स्वस्थ व सभ्य होंगे। तब क्यों नहीं यह स्वाधीन
भूमि हमारे लिए सार्थक व कल्याणकारी होगी? अर्थात् अवश्य होगी।
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शतपथ ब्राह्मण में ब्राह्मण के कर्तव्यों की चर्चा करते हुए उसके अधिकार इस प्रकार कहे गये हैं- 1-अर्चा 2-दान 3-अजेयता 4-अवध्यता ब्राह्मण के कर्तव्य इस प्रकार हैं- 1-‘ब्राह्मण्य’ (वंश की पवित्रता) ‘2-प्रतिरूपचर्या’ (कर्तव्यपालन) 3-‘लोकपक्ति’ (लोक को प्रबुद्ध करना) स्मृति ग्रन्थों में ब्राह्मणों के मुख्य छ: कर्तव्य (षट्कर्म) बताये गये हैं- 1-पठन 2-पाठन 3-यजन 4-याजन 5-दान 6-प्रतिग्रह इनमें पठन, यजन और दान सामान्य तथा पाठन, याजन तथा प्रतिग्रह विशेष कर्तव्य हैं। आपद्धर्म के रूप में अन्य व्यवसाय से भी ब्राह्मण निर्वाह कर सकता था, किन्तु स्मृतियों ने बहुत से प्रतिबन्ध लगाकर लोभ और हिंसावाले कार्य उसके लिए वर्जित कर रखे हैं। गौड़ अथवा लक्षणावती का राजा आदिसूर ने ब्राह्मण धर्म को पुनरुज्जीवित करने का प्रयास किया, जहाँ पर बौद्ध धर्म छाया हुआ था। हिन्दू ब्राह्मण अपनी धारणाओं से अधिक धर्माचरण को महत्व देते हैं। यह धार्मिक पन्थों की विशेषता है। धर्माचरण में मुख्यतः है यज्ञ करना। दिनचर्या इस प्रकार है – स्नान, सन्ध्यावन्दनम्,जप, उपासना, तथा अग्निहोत्र। अन्तिम दो यज्ञ अब केवल कुछ ही परिवारों में होते हैं। ब्रह्मचारी अग्निहोत्र यज्ञ के स्थान पर अग्निकार्यम् करते हैं। अन्य रीतियां हैं अमावस्य तर्पण तथा श्राद्ध।
Answer:
wah navi Hindi Te bdi badiya likhi