Social Sciences, asked by hemantsharmamg, 7 months ago

पाठ-14
किस दर जाऊँ मैं
तेरे दर को छोड़कर, किस दर जाऊँ मैं।
कौन है, किसे सुनाऊँ मैं।।।।।
जव से याद भुलाई तेरी लाखों कष्ट उठाए हैं।
क्या जानें इस जीवन अन्दर, कितने पाप कमाए हैं।
शर्मिन्दा
क्या बतलाऊं में।
तेरे दर को छोड़कर किस दर जाऊँ मैं।।2।।
मेरे पाप कर्म ही तुमसे, प्रीति न करने देते हैं।
जो में चार मिन आपसे रोक मझे लेते हैं
आपके दर्शन पाऊँ मैं।
तेरे दर को घोडकर किस दर जाऊ में।।3।।
तू है नाथ वरों का दाता, तुझसे सब वर पाते हैं।
ऋषि-मुनि और योगी सारे, तेरे ही गुण गाते हैं
छींटा दे दो ज्ञान का होश में आऊ में।
तेरे दर को छोड़कर, किस दर जाऊँ मैं।।4।।
जो बीती सो बीती लेकिन बाकी उमर संभातूं मैं
प्रेम-पाश में बंधा आपके गीत प्रेम से गान में।
जीवन प्यारे देश का सफल बनाऊ में।
तेरे दर को छोड़कर किस दर जाऊँ मैं।5 भवारथ ​

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Answered by adriyan4
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