(पाठ-14
(ख) 'बीती विभावरी जाग री' पाठ का काव्य-सौंदर्य निराला है। स्पष्ट करें।
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(ख) 'बीती विभावरी जाग री' पाठ का काव्य-सौंदर्य निराला है। स्पष्ट करें।ती विभावरी जाग री जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई है |
जयशंकर प्रसाद जी ने इस कविता में सुबह का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है|
इस कविता एक तरह से प्रकृति का मानवीकरण भी किया गया है। जब सुबह होती है ,वैसे ही सब की दैनिक जीवन की दिनचर्या शुरू हो जाती है | घर की स्त्रियाँ सुबह-सुबह पानी भरने जाती , कुंए से पानी लाने को पनघट कहलाता है |
जा रहा है , सुबह अपना आंचल खोल रही है | आकाश की कालिमा हल्की-हली आसमानी हो रही है | पक्षियों का समुदाय 'कुल-कुल' की मीठी आवाज निकाल रहा है। उठो , अब रात बीत चुकी है | सुबह के सहारे ऊष्मा का वर्णन किया है |
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