पाठ-19 -
शुभकामना
सब वेद पढ़ें, सुविचार बढ़े
बल पाय चढ़ें नित ऊपर को।
अविरुद्ध रहें, ऋजु पंथ गहें
परिवार कहें, वसुधा भर को ॥1॥
ध्रुव धर्म धरें, पर दुख हरें,
तन त्याग तरें भवसागर को।
दिन फेर पिता, वर दे सविता,
हम आर्य करें, जगती भर को॥2॥
भाव : सभी वेदों का अध्ययन करें। सरल हृदय हों। अटल धर्म
पर चलने वाले हों। त्यागी हों तथा इस संसार के दुखों को पार करके
मुक्ति प्राप्त करें। हम आर्य बनें और सारे संसार को आर्य बनाएँ।
अभ्यास
1. सुविचार किस प्रकार बढ़ सकते हैं?
2. ऊपर कब और कैसे चढ़ा जा सकता है?
3. कवि सविता देव से क्या वर माँग रहे हैं?
4. सारी वसुधा को परिवार कब कहा जा सकता है।
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1) मन में अच्छी सोच लाने से सुविचार बढ़ते हैं।
2) सभी वेदों का अध्ययन कर के और बल पाकर नित चढ़ा जा सकता है।
3) त्यागी हों तथा इस संसार के दुखों को पार करके
4) आइये हम सभी ईश्वरीय वाणी वेद का अनुसरण करें और दूसरों को भी प्रेरित करे। हम आर्य बनें और सारे संसार को आर्य बनाएँ। तब सारी वसुधा को परिवार कहा जा सकता है।
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