Hindi, asked by sapnatiwari5041, 7 months ago

पाठ 2 तलाश notes भारत कि खोज please give me all notes please ( class 8 CBSE )​

Answers

Answered by ranurai58
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1. ‘आखिर यह भारत है क्या? अतीत में यह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है? विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा क्या आज उसके पास ऐसा कुछ बचा है जिसे जानदार कहा जा सके?’

Answer :

भारत एक भू-भाग का नाम नहीं है अपितु उस भू-भाग में बसे लोगों, उसकी संस्कृति, उसकी सभ्यता, उसके रीति-रिवाजों, उसके इतिहास का नाम भारत है,30 उसके भौतिक स्वरूप का नाम भारत है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने अतीत में अनेकों संस्कृतियों को बनते बिगड़ते देखा। अनेकों संस्कृति आई और यहाँ आकर या तो विलीन हो गई या नष्ट हो गई परन्तु इन सब में अपनी संस्कृति को न सिर्फ़ बचाए रखा अपितु उसे श्रेष्ठ भी सिद्ध किया। इसी संस्कृति का प्रतिनिधित्व भी किया है।

उसने कितने ही आक्रमणकारी देखें कितने ही शासनकाल देखें, गुलामी की बेड़ियाँ देखी। एक वक्त ऐसा भी आया जब उसने अपनी शक्ति को दूसरों के पैरों तले पाया पर उसने फिर उठकर अपने सम्मान को पाया अपनी धरोहर को खोने से बचा लिया।

आज बेशक वह एक बड़ी आबादी वाला देश हो परन्तु उसके पास आज भी उसकी बहुमूल्य विरासत है- उसकी संस्कृति, महापुरुषों के उच्च विचार, विविधता में एकता व धर्मनिरपेक्षता।

2. आपके अनुसार भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी-विकास की दौड़ में क्यों पिछड़ गया था?

Answer :

इसका मुख्य कारण संकुचित मानसिकता का होना है। इन रूढ़ियों ने भारत की गतिशीलता पर दुष्प्रभाव डाला है। यद्यपि पुराने भारत पर नज़र डालें तो भारत में मानसिकता, सजगता और तकनीकी कौशल का अतुल भंडार था। यहाँ लोगों में रंचनात्मक प्रवृत्ति विद्यमान थी। लोगों ने प्रकृति और ब्रह्मांड के रहस्यों को खोजने का प्रयास किया था जिसके उदाहरण हमारे इतिहास में भरे पड़े हैं परन्तु इन सबको भूलकर हमने अनुसरण प्रवृति अपना ली। इसका दुष्प्रभाव ही था कि हमने अपनी रचनात्मक प्रवृत्ति को खो दिया। जहाँ हमने ब्रह्मांड के रहस्य खोजे थे वहीं हम व्यर्थ के आडम्बरों में भ्रमित होकर अपने ज्ञान को धूमिल कर चुके थे। जहाँ राजाओं ने साहसिक कार्यों की लालसा और छलकती हुई जिंदगी के लिए सुदूर देशों तक भारतीय संस्कृति का प्रसार किया था वही हमारी संकीर्ण मानसिकता ने उस प्रसार पर रोक लगा दी थी (कहा जाता था कि महासागरों की यात्रा करने पर नर्क की प्राप्ति होती है)। इन सब संकुचित विचार धाराओं ने भारत के विकास पथ को रोक दिया। भारत में व्याप्त निरक्षरता व समाज में बढ़ते जाति-पाति ने भारत की गतिशीलता को छिन्न-भिन्न कर दिया। हमारी सोच के दायरों को अब धीरे-धीरे जैसे जंग लगने लगा था। हमारी वैज्ञानिक चेतना इन आडम्बरों, रूढ़ियों व संकीर्ण मानसिकता के नीचे दब कर रह गई। इसके विपरीत यूरोप भारत से जो कभी पिछड़ा हुआ था, अपनी वैज्ञानिक चेतना तथा बुलंद जीवन शक्ति और विकसित मानसिकता के कारण तकनीकी विकास में भारत से आगे निकल गया।

3. नेहरू जी ने कहा कि – “मेरे ख्याल से हम सब के मन में अपनी मातृभूमि की अलग-अलग तसवीरें हैं और कोई दो आदमी बिलकुल एक जैसा नहीं सोच सकते” अब आप बताइए कि-

(क) आपके मन में अपनी मातृभूमि की कैसी तसवीर है?

(ख) अपने साथियों से चर्चा करके पता करो कि उनकी मातृभूमि की तसवीर कैसी है और आपकी और उनकी तसवीर (मातृभूमि की छवि) में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं।

Answer :

(क) मातृभूमि से तात्पर्य जहाँ एक ओर इसका भौगोलिक स्वरूप आता है वहीं दूसरी ओर इसका सामाजिक रूप भी होता है। मेरी दृष्टि से मेरी मातृभूमि सबसे अलग और सबसे गौरवशाली है। अलग से तात्पर्य ‘मेरा’ है। जब हम इसकी भौगोलिक स्थिति को देखें तो ये जहाँ उत्तर में पर्वत राज हिमालय को लेकर खड़ी है तो दूसरी ओर दक्षिण में अथाह समुद्र के रूप में है, पश्चिम में रेगिस्तान के रूप में विराजमान है तो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और ऋतु परिवर्तन। ये सब इसके ही रूप हैं, जो हर जगह रमणीय और रोमांचकारी है। परन्तु सिर्फ़ भौगलिक स्वरूप से ही तो मेरी मातृभूमि की छवि पूर्ण नहीं होती क्योंकि ये सिर्फ़ इसलिए ‘मेरे’ या ‘हम सब’ के मन में मातृभूमि का दर्ज़ा लिया हुए नहीं है अपितु मेरी मातृभूमि ने अनेकों सभ्यताओं और संस्कृतियों को जन्म दिया। इसी मातृभूमि ने जहाँ राजा राम और श्री कृष्ण रूप में महापुरुषों को जन्म दिया है तो ये उन महापुरूषों की भी जननी रही है जिन्होंने भारत का नाम इतिहास में अमिट अक्षरों में लिख दिया है। इसने एक संस्कृति का पोषण नहीं किया अपितु अनेकों संस्कृतियों को अपनी मातृत्व की छाया में पाल-पोस कर महान संस्कृतिय के रूप में उभारा है। इसने जहाँ गुलामी को सहा, तो वहीं स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया है। इन सभी कारणों ने इसे मातृभूमि का गौरव दिया है। मेरी मातृभूमि एक गौरवशाली मातृभूमि है।

(ख) अपने मित्रों व साथियों के साथ चर्चा के आधार पर उत्तर लिखो। हमारे साथी भी हमारे तरह सोचते हैं।

mere pass purey notes hai but 5000 words se upar yaha nahi ho payega.. koi aur tarika ho apke pass jis se apko notes share kar saku tho batana.

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