Hindi, asked by N1ketan, 2 days ago

पाठ-4 चाँद से थोड़ी सी गप्पें कवि-शमशेर बहादुर सिंह प्रतिपाद्य गृह कार्य चाँद से थोड़ी सी गप्पै कविता कवि शमशेर सिंह बहादुर जी द्वारा रचित है। इस कविता में एक दस-प्यारह साल की लड़की ने चाँद के बारे में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। चाँद गोल है, परंतु तिरछा नजर आता है। उसने ठारों से जड़े हुए आकाश को वस्त्र की भाँति पहन रखा है। उसने अपना गोरा-चिट्टा मुँह खोल रखा है और अपनी पोशाक को चारा और फैला रखा है। लड़की चाँद पर कटाक्ष करते हुए कहती है कि हम तुम्हारी असलियत जानते है कि तुम्हें घटने बहने की बीमारी है। तुम घटने लगते हो तो घटते ही चले जाते हो और एक दिन दिखाई ही नहीं देते। जब म बढ़ते हो तो बढ़ते ही चले जाते हो और एक दिन बिलकुल गोल होकर ही दम लेते हो। तुम्हारी यह बीमारी लाइलाज है जो किसी भी प्रकार से ठीक ही नहीं होती। प्रश्न उत्तर कविता से प्रo आप पहने हुए हैं कुल आकाश के माध्यम से लड़की कहना चाहती है कि (क) चाँद तारों से जड़ी हुई चादर ओढ़कर बैठा है। (ख) चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है। तुम किसे सही मानते हो ? उ० मेरे अनुसार नींद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है। | प्र02 कवि ने चाँद से गप्पें किस दिन लगाई होंगी ? इस कविता में आई बातों की मदद से अनुमान लगाओ और उसका कारण भी बताओ। दिन पूर्णिमा अष्टमी से पूर्णिमा के बीच प्रथमा से अष्टमी के बीच कारण || चींद पूरी होता है और गोल नजर आता है। चाँद बढ़ता है और तिरछा नजर आता है। चीद घटता है और पतला नजर आता है। मेरा अनुमान है कि कवि ने चाँद से गप्पें अष्टमी से पूर्णिमा के बीच लगाई होंगी।​

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Answered by adwiathpjayan
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Answered by maitreykamatkar
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Simon delivered to the small

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