पाठ आप भले तो जग भला के आधार पर " हम जैसा व्यवहार करते हैं दुनिया भी हमसे वैसा ही व्यवहार करेगी " कथन के पक्ष में अपने विचार बताइए।
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अक्सर हम जाने अनजाने एक दोहरी जिंदगी जीते हैं हम दूसरों के साथ किसी और तरह का व्यवहार करते हैं परंतु जब स्वयं की बात आती है तो हमारा परिस्थितियों को देखने का नजरिया ही बदल जाता है उदाहरण के लिये, यदि हम से कोई गलती हो जाये तो हम सामने वाले से यह उम्मीद रखते हैं की वह हमारी भावनाओं को समझते हुए हमें माफ कर देगा लेकिन जब हमारी माफ करने की बारी आती है तो सामने वाले के सारे तर्क हमें झूठ लगने लगते हैं हम यह मानने को तयार ही नहीं होते की जो भी हुआ वह अनजाने में हुआ किसी मुसीबत में फंसने पर यदि कोई हमारी मदद करता है तो हमें बहुत अच्छा लगता है लेकिन क्या कभी किसी और के वैसी ही स्थिति में फंसने पर हम उसकी मदद करने की कोशिश करते हैं? एक एंप्लायी के रूप में हम अपने बॉस से जिस व्यवहार की उम्मीद करते हैं क्या वैसा व्यवहार हम अपने यहाँ काम करने वाले लोगों से कर पाते हैं? मेरे विचार में तो दूसरों से व्यवहार करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिये की अगर हम इस स्थिति में होते तो अपने लिये कैसे व्यवहार की अपेक्षा रखते