पाठ -जामुन का पेड़
१-इस पाठ में सरकार के किन- किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में कया अंदाजा मिलता है?
Answers
Answer:
इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है? व्यापार विभाग, कृषि-विभाग, हॉर्टीकल्चर विभाग, मेडिकल विभाग, कल्चरल विभाग, फॉरेस्ट विभाग, विदेश विभाग। पाठ से उनके कार्यों के बारे में यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर एक विभाग का कार्य गैर जिम्मेदाराना था।
Explanation:
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Answer:
. 1.
कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों?
उत्तर:
हमें इस कहानी का पात्र वंशीधर सबसे अधिक प्रभावित करता है। वह ईमानदार, शिक्षित, कर्तव्यपरायण व धर्मनिष्ठ व्यक्ति है। उसके पिता उसे बेईमानी का पाठ पढ़ाते हैं, घर की दयनीय दशा का हवाला देते हैं, परंतु वह इन सबके विपरीत ईमानदारी का व्यवहार करता है। वह स्वाभिमानी है। अदालत में उसके खिलाफ गलत फैसला लिया गया, परंतु उसने स्वाभिमान नहीं खोया। उसकी नौकरी छीन ली गई। कहानी के अंत में उसे अपनी ईमानदारी का फल मिला। पंडित अलोपीदीन ने उसे अपनी सारी जायदाद का आजीवन मैनेजर बनाया।
प्रश्न. 2.
नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं?
उत्तर:
पं. अलोपीदीन अपने क्षेत्र के नामी-गिरामी सेठ थे। सभी लोग उनसे कर्ज लेते थे। उनको व्यक्तित्व एक शोषक-महाजन का सा था, पर उन्होंने सत्य-निष्ठा का भी मान किया। उनके व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. लक्ष्मी उपासक – उन्हें धन पर अटूट विश्वास था। वे सही-गलत दोनों ही तरीकों से धन कमाते थे। नमक का व्यापार इसी की मिसाल है। साथ ही वे कठिन घड़ी में धन को ही अपना एकमात्र हथियार मानते थे। उन्हें विश्वास था कि इस लोक से उस लोक तक संसार का प्रत्येक काम लक्ष्मी जी की दया से संभव होता है। इसीलिए वंशीधर की धर्मनिष्ठा पर उन्होंने उछल-उछलकर वार किए थे।
2. ईमानदारी के कायल – धन के उपासक होते हुए भी उन्होंने वंशीधर की ईमानदारी का सम्मान किया। वे स्वयं उसके द्वार पर पहुँचे और उसे अपनी सारी जायदाद सौंपकर मैनेजर के स्थाई पद पर नियुक्त किया। उन्हें अच्छा वेतन, नौकर-चाकर, घर आदि देकर इज्ज़त बख्शी।
Explanation:
ans.