Physics, asked by fayazahmad8542, 5 hours ago

पाठ के आधार पर बताएं निपात क्या होते हैं हैं उदाहरण भी दीजिए

Answers

Answered by ruksansari703
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Answer:

“दो राशियों के तुलनात्मक अध्ययन को अनुपात (Ratio) कहा जाता हैं, यदि x तथा y दो संख्याएँ हैं, तो x तथा y के अनुपात को x : y द्वारा प्रदर्शित करते हैं।”

अनुपात (Ratio) को निम्न चिन्ह : द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।p

Explanation:

दूसरे शब्दों में- “अनुपात (Ratio) एक ऐसी संख्या है, जो कि दो सजातीय राशियों के बीच के उस संबंध को प्रदर्शित करती हैं, जिससे यह पता चलता है कि एक राशि की अपेक्षा दूसरी राशि कितनी गुना कम या अधिक है।”

Answered by manishadhiman31
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निपात (Particle) की परिभाषा

किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे निपात कहते है।

जैसे- तक, मत, क्या, हाँ, भी, केवल, जी, नहीं, न, काश।

उदाहरण- तुम्हें आज रात रुकना ही पड़ेगा।

तुमने तो हद कर दी।

कल मै भी आपके साथ चलूँगा।

गांधीजी को बच्चे तक जानते है।

धन कमा लेने मात्र से जीवन सफल नहीं हो जाता।

नीरव खाने के साथ पानी भी पिता था।

संसार की विभिन्न भाषाओं में अनेक दृष्टियों से शब्दों का वर्गीकरण किया गया है। भारतवर्ष में शब्दों का प्राचीनतम वैज्ञानिक वर्गीकरण यास्क मुनि का माना जाता है। इसके अनुसार शब्द चार प्रकार के खातों में खतियाये गये हैं।

'चत्वारि पदजातानि नमाख्याते चोपसर्गनिपातश्च'

नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात। आजतक जितने भी शब्द-वर्गीकरण किये गये हैं उनमें इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है।

''भाषा में दो तरह के शब्द प्रमुख है- नाम और आख्यात- संज्ञाएँ और क्रियाएँ। दूसरे दर्ज पर हैं उपसर्ग और निपात (या अव्यय)। नाम और आख्यात स्वतंत्र चलते हैं और उपसर्ग, निपात इनकी सेवा में रहते हैं।''- ''हिन्दी शब्दानुशासन'' श्री किशोरीदास वाजपेयी''

निपात ऐसा सहायक शब्द भेद है जिसमें वे शब्द आते हैं जिनके प्रायः अपने शब्दावलोसंबंधी तथा वस्तुपरक अर्थ नहीं होते हैं।'' यथा- तक, मत, क्या, हाँ, भी, केवल, जी, नहीं, न, काश।

अन्य शब्द भेदों से निपात का इस बात में अन्तर है कि अन्य शब्द भेदों का अर्थात संज्ञाओं, विशेषणों, सर्वनामों, क्रिया-विशेषणों आदि का अपना अर्थ होता है किन्तु निपातों का नहीं। वाक्य को अतिरिक्त भावार्थ प्रदान करने के लिए निपातों का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द-समुदाय या पूरे वाक्य में होता है।

ये सहायक शब्द होते हुए भी निश्चित वाक्य नहीं हो सकते। वाक्य में इनके प्रयोग से उस वाक्य का अर्थ प्रभावित होता है। निपात वाक्य में निम्नलिखित कार्य करते हैं।

Explanation:

निपात के भेद:

उपमार्थक निपात: यथा- इव, न, चित्, नुः

कर्मोपसंग्रहार्थक निपात: यथा- न, आ, वा, ह;

पदपूरणार्थक निपात: यथा- नूनम्, खलु, हि, अथ

निपात के प्रकार

निपात के नौ प्रकार होते हैं-

(1) स्वीकारात्मक निपात- हाँ, जी, जी हाँ। ये सब निपात स्वीकृति को व्यक्त करते हैं तथा सदैव स्वीकारार्थक उत्तर के आरम्भ में आते हैं।

प्रश्न- तुम विद्यालय जाते हो ?

उत्तर- जी।

प्रश्न- आप घर जा रहे हैं ?

उत्तर- जी हाँ।

जी तथा जी हाँ निपात विशेष आदरसूचक स्वीकारार्थक उत्तर के समय प्रयुक्त होते हैं।

(2) नकारात्मक निपात- नहीं, जी नहीं।

प्रश्न: तुम्हारे पास यह कलम है ?

उत्तर- नहीं।

(3) निषेधात्मक निपात- मत।

मत- आज आप मत जाइए। मुझे अपना मुँह मत दिखाना।

(4) आदरार्थक निपात- क्या, न।

क्या- तुम्हें वहाँ क्या मिलता है ?

न- तुम अँगरेजी पढ़ना नहीं जानते हो न ?

(5) तुलनात्मक- सा।

सा- इस लड़के सा पढ़ना कठिन है।

(6) विस्मयार्थक निपात- क्या, काश।

क्या- क्या सुन्दर लड़की है !

काश- काश ! वह न गया होता !

(7) बलार्थक या परिसीमक निपात- तक, भर, केवल, मात्र, सिर्फ, तो, भी, ही।

तक- मैंने उसे देखा तक नहीं। हमने उसका, नाम तक नहीं सुना।

भर- मेरे पास पुस्तक भर है। उसको अपनी कॉपी भर दे दो।

केवल- वह केवल सजाकर रखने की वस्तु है।

मात्र- वह मात्र सुन्दर थी, शिक्षित तो नहीं थी।

ही- उसका मरना ही था कि घर-का-घर बर्बाद हो गया।

भी- मैं भी यहीं रहता हूँ।

(8) अवधारणबोधक निपात- ठीक, लगभग, करीब।

ठीक- ठीक समय पर पहुँचा। ठीक पाँच हजार रुपये उसने दिये।

लगभग- लगभग पाँच लाख विद्यार्थी इस वर्ष प्रवेशिका की परीक्षा दे चुके हैं।

करीब- इस समय करीब पाँच बजे हैं।

(9) आदरसूचक निपात- जी।

जी- यह निपात व्यक्तिवाचक या जातिवाचक नाम, उपाधि तथा पद आदि सूचित करने वाले संज्ञा शब्दों के बाद प्रयुक्त होता है। जैसे- इन्दिरा जी, गुरुजी, डॉक्टर जी, वर्माजी।

निपात के प्रमुख कार्य

प्रश्न- जैसे- क्या वह विद्यालय गया था ?

अस्वीकृति- जैसे-वह घर पर नहीं है।

विस्मयादिबोधक- जैसे- कैसी सुहावनी रात है।

किसी शब्द पर बल देना- जैसे- मुझे भी इसका पता है।

यास्क ने निपात के तीन भेद माने है-

(1) उपमार्थक निपात : यथा- इव, न, चित्, नुः

(2) कर्मोपसंग्रहार्थक निपात : यथा- न, आ, वा, ह;

(3) पदपूरणार्थक निपात : यथा- नूनम्, खलु, हि, अथ।

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