Hindi, asked by kashyapprashansha11, 6 months ago

पाठ के आधार पर पशुओं की वफादारी पर अनुच्छेद लिखें।(hera aur moti)​

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Answered by adityarajverma682
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बैल बहुत सीधी होती है। इनकी सरलता के कारण ही इनको अत्याचार भी सहना पड़ता है।

मगर इनमें भी संवेदनाएं होती है। तभी तो जब यह अपने मालिक से दूर होते हैं तो इनपर हो रहे अत्याचार को यह महसूस करते हैं और भागकर पुराने मालिक के पास आते हैं।

पशु है जुंबा नहीं है मगर वह प्रेम की भाषा समझते हैं।

Answered by amitkumar28051997
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Answer:

मानव आदि काल से कुछ पशुओं को पालता आ रहा है । जिन पशुओं को वह पालता है उसे पालतू पशु कहा जाता है । पालतू पशु हमारे लिए श्रम करते हैं । वे हमें भोजन एवं जीवन-यापन की अन्य सामग्रियाँ प्रदान करते हैं । वे जन-समुदाय के लिए अनेक प्रकार से उपयोगी होते हैं ।

पालतू पशुओं में गाय, बैल, भैंस,बकरी, घोड़ा, ऊँट, खच्चर, गदहा, भेड़, याक, कुत्ता आदि का प्रमुख स्थान है । गाय, भैंस, बकरी और ऊँटनी से पौष्टिक दूध प्राप्त होता है । इन पशुओं को मुख्यत : दूध के लिए पाला जाता है । दूध से दही, घी, मक्खन, खोया, पनीर, लस्सी, आईसक्रीम आदि भांति- भांति के पदार्थ निर्मित होते हैं । संपूर्ण डेयरी उद्‌योग का आधार दूध ही है जो दुधमुँहे बच्चों से लेकर वृद्धों तक के लिए समान रूप से उपयोगी है ।

बैल, घोड़ा, ऊँट, भैंसा, गदहा, खच्चर आदि दूसरे श्रेणी व पालतू पशु हैं । ये सभी भारवाही पशु हैं अर्थात् इस पर भार या वजन लादा जा सकता है । बैल भारतीय कृषि व्यवस्था के आधार रहे हैं क्योंकि ये कृषि कार्य में बहुत उपयोगी होते हैं । ये हल खींचते हैं बैलगाड़ी खींचते हैं तथा इक्के में जोते जाते हैं । घोड़े पर सवारी करते हैं और यह ताँगा व रथ खींचता हें । ऊँट रेगिस्तानी प्रदेशों की एकमात्र उपयोगी सवारी है । गदहा और खच्चर वजन उठाकर राहगीरों,व्यापारियों और धोबियों के दुन मदद करता है । भैंसे भी हल खींचते हैं और गाडी में जोते जाते हैं ।

ऊँट, भेड़, याक जैसे पशुओं की एक महत्त्वपूर्ण उपयोगिता यह है कि इनसे हमें मूल्यवान ऊन प्राप्त होता है । ऊन से निर्मित ऊनी वस्त्र सर्दियों में वरदान सिद्ध होते हैं । ऊन के अतिरिक्त बहुत से पालतू पशुओं के मृत शरीर से चमड़ा प्राप्त होता है जो जैकेट, लैदर बैग, पर्स, बैल्ट ,जूते-चप्पल, सूटकेस आदि बनाने के काम आता है । इस प्रकार डेयरी उद्‌योग, ऊनी वस्त्र उद्‌योग एवं चमड़ा उद्‌योग वस्तुत : पालतू पशुओं पर ही आधारित होता है ।

गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि पशुओं की एक महत्त्वपूर्ण उपयोगिता यह भी है कि इनसे हमें गोबर प्राप्त होता है । गोबर थोड़े ही समय बाद खाद का रूप ले लेता है जो मिट्‌टी को उपजाऊ बनाता है । गोबर से ग्रामीण अपने घर- गिन को लीपते हैं । कुछ लोग इन्हें सुखाकर इससे उपले बनाते हैं । ये उपले ईधन का कार्य करते हैं । आजकल गोबर को गोबर गैस प्लांट में डाला जाता है जिससे भारी मात्रा में मिथेन गैस निकलती है । यह गैस घरों में रोशनी करने व खाना पकाने के काम आती है । बाद में गोबर खाद के रूप में प्रयुक्त होता है जिससे कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है ।

पालतू पशुओं में कुत्ता भी अति महत्त्वपूर्ण है । यह घर की चौकीदारी करता है तथा मालिक के प्रति वफादारी प्रदर्शित करता है । कुछ लोग कुत्ते पालना पारिवारिक शान का प्रतीक मानते हैं इसलिए कुत्ते शौक से पाले जाते हैं ।

संसार के विभिन्न भागों में कुछ पालतू पशुओं को मांस के लिए पाला जाता है । चूकि मांस को एक पौष्टिक आहार माना जाता है इसलिए बकरा, ऊँट आदि जंतुओं को मारकर इनसे मांस प्राप्त किया जाता है । विभिन्न धर्मों के लोग पशुओं की कुर्बानी या बलि भी देते हैं । यही कारण है कि मांस देनेवाले पशु बड़ी संख्या में पाले जाते हैं । संसार के विभिन्न भागों में मांस के लिए अलग- अलग प्रकार के पशुओं को पाला जाता है ।

इस प्रकार पालतू पशु मनुष्यों की अनेक प्रकार से सहायता करते हैं । बदले में ये मनुष्यों से अच्छे व्यवहार और खान-पान की अच्छी व्यवस्था की अपेक्षा रखते हैं । धर्म और नीति के भी यह अनुकूल है कि पशुओं के साथ मानव अच्छा व्यवहार करे । उसे अच्छा भोजन दे एवं उसके लिए साफ-सुथरे एवं हवादार आवास का प्रबंध करे । कुछ लोग पालतू पशुओं के साथ निर्दयतापूर्ण व्यवहार करते हैं जो कि पूर्णतया अमानवीय है ।

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