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"ठीक है," ऐसा कहकर त्रात्विक वहाँ से चला
गया । अभी वह कुछ दूर ही गया था कि उसे रास्ते में
गिरी हुई एक पोटली मिली। ऋत्विक को यह विश्वास
हो गया कि लाल रंग की इस मखमली पोटली में कोई
कीमती चीज होगी। उसने उसे खोलना चाहा फिर
सोचने लगा । जब यह मेरी नहीं है तो इसे खोलने का
मुझे हक नहीं है। ऋत्विक ने पोटली नहीं खोली। तभी
किसी की आवाज उसके कानों में पड़ी। "बेटा, मेरी
पोटली गिर गई है, रास्ते में । क्या तुमने देखी है ?"
ऋत्विक ने पूछा, “किस रंग की थी ?' "लाल
रंग की," राहगीर ने बताया । “और कोई पहचान
बताओ।" ऋत्विक ने राहगीर से कहा । “उसपर एक
परी का सुनहरे रंग में चित्र बना है।'' राहगीर का जवाब
था । ऋत्विक ने अपनी थैली से जब वह पोटली
निकाली तो उसपर छपा परी का चित्र चमकने लगा।
ऋत्विक ने वह पोटली राहगीर को दे दी।
सुबह उठकर वह वहीं पहुंचा, जहाँ उसे परी मिली
थी । देखा तो वहाँ कोई नहीं था । वह बैठ गया। उसकी
आँखों के सामने वही लाल रंग की पोटली दिखाई देने
लगी। तभी तेज प्रकाश फैला । सामने परी खड़ी थी।
परी के दोनों हाथ पीछे थे । परी ने पूछा, "कैसे हो।
"ठीक हूँ।' ऋत्विक ने जवाब दिया । तभी पीने
कहा, "अपनी आँखें बंद करो ! मैं तुम्हें इनाम दूंगी।
“किस बात का ?'' ऋत्विक ने पूछा ।
"तुम उत्तीर्ण हो गए इसलिए।" परी बोली।
परी की बात ऋत्विक की समझ में नहीं आ
थी । उसने आँखें बंद कर लीं । परी ने उसके हाथों ।
एक मखमली थैली पकड़ा दी । ऋत्विक ने देखा तो
हैरान रह गया । यह तो वही पोटली थी, जो उस
राहगीर को दी थी । परी ने कहा, “कल मैंने ही तुम्हारे
ईमानदारी की परीक्षा ली थी। वह राहगीर भी मैं ही थी
इसलिए मैं तुम्हें यह इनाम दे रही हूँ।
परी ने ऋत्विक को समझाया, "ईमानदार व्यक्ति
के जीवन में किसी वस्तु की कमी नहीं होती। जाओ
अब तुम्हें मनचाही वस्तु मिलेगी।"
ऋत्विक के पास शब्द नहीं थे जिनसे वह परी को
धन्यवाद देता । खुशी से उसकी आँखें भर आई।
लाल मखमली पोटली ऋत्विक ने अपनी माँ को
दी। उसकी समझ में यह नहीं आया कि उसका बेटा उसे
क्या दे रहा है। जब माँ वह मरती
"
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ठीक है," ऐसा कहकर त्रात्विक वहाँ से चला
गया । अभी वह कुछ दूर ही गया था कि उसे रास्ते में
गिरी हुई एक पोटली मिली। ऋत्विक को यह विश्वास
हो गया कि लाल रंग की इस मखमली पोटली में कोई
कीमती चीज होगी। उसने उसे खोलना चाहा फिर
सोचने लगा । जब यह मेरी नहीं है तो इसे खोलने का
मुझे हक नहीं है। ऋत्विक ने पोटली नहीं खोली। तभी
किसी की आवाज उसके कानों में पड़ी। "बेटा, मेरी
पोटली गिर गई है, रास्ते में । क्या तुमने देखी है ?"
ऋत्विक ने पूछा, “किस रंग की थी ?' "लाल
रंग की," राहगीर ने बताया । “और कोई पहचान
बताओ।" ऋत्विक ने राहगीर से कहा । “उसपर एक
परी का सुनहरे रंग में चित्र बना है।'' राहगीर
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