पाठ के किन प्रसंगो से आपको पता चलता है कि कुँवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
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प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय कुँवर सिंह की उम्र 80 वर्ष की थी. वृद्धावस्था में भी उनमे अपूर्व साहस, बल और पराक्रम था. उन्होंने देश को पराधीनता से मुक्त कराने के लिए दृढ संकल्प के साथ संघर्ष किया.
अंग्रेजो की तुलना में कुँवर सिंह के पास साधन सीमित थे परन्तु वे निराश नहीं हुए. उन्होंने क्रांतकारियों को संगठित किया. अपने साधनों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने छापामार युद्ध की नीति अपनाई और अंग्रेजो को बार – बार हराया !
प्रशन :- पाठ के किन प्रसंगो से आपको पता चलता है कि कुँवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर :-
साहसी व्यक्ति – कुँवरसिंह का पूरा जीवन ही उनके साहसपूर्ण घटनाओं से भरा पड़ा है। परन्तु उनका अपनी घायल भुजा को स्वयं काटकर गंगा में समर्पित कर देना साहस का सबसे अद्वितीय उदहारण है।
उदार व्यक्ति – कुँवरसिंह का व्यक्तित्व बड़ा ही उदार था। उनकी माली हालत अच्छी न होने के बावजूद वे निर्धनों की हमेशा सहायता करते थे। इसी उदारता के फलस्वरूप उन्होंने कई तालाबों, कुँओं, स्कूलों तथा रास्तों का निर्माण किया।
स्वाभिमानी व्यक्ति – कुँवरसिंह स्वाभिमानी व्यक्ति थे यह इसी बात से पता चलता है कि वयोवृद्ध होने के बाद भी उन्होंने अंग्रेजों के आगे अपने घुटने नहीं टेके।