India Languages, asked by anamikaku3021, 10 months ago

पाठ का परिचय (Introduction of the Lesson)
भारतवर्ष की अमूल्य निधि है- ज्ञान-विज्ञान की सुदीर्घ परम्परा। इस परम्परा को सम्पोषित करने वाले प्रबुद्ध मनीषियों में अग्रगण्य थे-आर्यभट। दशमलव पद्धति का प्रयोग सबसे पहले आर्यभट ने किया, जिसके कारण गणित को एक नई दिशा मिली। इन्हें एवं इनके प्रवर्तित सिद्धान्तों को तत्कालीन रूढ़िवादियों का विरोध झेलना पड़ा। वस्तुत: गणित को विज्ञान बनाने वाले तथा गणितीय गणना पद्धति के द्वारा आकाशीय पिण्डों की गति का प्रवर्तन करने वाले ये (आर्यभट) प्रथम आचार्य थे। आचार्य आर्यभट के इसी वैदुष्य का उद्घाटन प्रस्तुत पाठ में है।

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Answered by erosadara
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Answered by shivangiroy27
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ई कनव

भारतवर्ष की अमूल्य निधि है- ज्ञान-विज्ञान की सुदीर्घ परम्परा। इस परम्परा को सम्पोषित करने वाले प्रबुद्ध मनीषियों में अग्रगण्य थे-आर्यभट। दशमलव पद्धति का प्रयोग सबसे पहले आर्यभट ने किया, जिसके कारण गणित को एक नई दिशा मिली। इन्हें एवं इनके प्रवर्तित सिद्धान्तों को तत्कालीन रूढ़िवादियों का विरोध झेलना पड़ा। वस्तुत: गणित को विज्ञान बनाने वाले तथा गणितीय गणना पद्धति के द्वारा आकाशीय पिण्डों की गति का प्रवर्तन करने वाले ये (आर्यभट) प्रथम आचार्य थे। आचार्य आर्यभट के इसी वैदुष्य का उद्घाटन प्रस्तुत पाठ में है।

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