Hindi, asked by pushpach9640, 4 months ago

॥) पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

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Answered by lavairis504qjio
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Explanation:

लेखक ने धूल की जीवन में महत्ता को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। लेखक ने धूल भरे शिशुओं को धूल भरे हीरे कहकर संबोधित किया है। धूल के बिना शिशुओं की कल्पना नहीं की जा सकती है। हमारी सभ्यता धूल के संसर्ग से बचना चाहती है। लेखक आगे कहता है कि जो बचपन में धूल से खेला है , वह जवानी में अखाड़े की मिट्टी में सनने से कैसे वंचित रह सकता है? जितने सारतत्त्व जीवन के लिए अनिवार्य हैं, वे सब मिट्टी से ही मिलते हैं। ग्राम भाषाओं में हमने गोधूलि शब्द को अमर कर दिया है। गोधूलि पर कितने कवियों ने अपनी कलम नहीं तोड़ दी , लेकिन यह गोधूलि गाँव की अपनी संपत्ति है , जो शहरों के बाँटे नहीं पड़ी। श्रद्धा, भक्ति, स्नेह इनकी चरम व्यंजना के लिए धूल से बढ़कर और कौन साधन है? यहाँ तक कि घृणा, असूया आदि के लिए भी धूल चाटने , धूल झाड़ने आदि की क्रियाएँ प्रचलित हैं ।धूल, धूलि, धूली, धूरि आदि की व्यंजनाएँ अलग-अलग हैं। धूल जीवन का यथार्थवादी गद्य, धूलि उसकी कविता है। धूली छायावादी दर्शन है ,जिसकी वास्तविकता संदिग्ध है और धूरि लोक-संस्कृति का नवीन जागरण है। इन सबका रंग एक ही है, रूप में भिन्नता जो भी हो। ये धूल भरे हीरे अमर हैं।Read more on Sarthaks.com - https://www.sarthaks.com/93293/

Answered by at239417
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Answer:

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