पाठ में लेखक ने जिंदा आदमी नंगा भी रह सकता है कहकर समाज पर क्या व्यंग किया है (दुख का अधिकार पाठ )
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यहाँ लेखक ने कह रहा है कि गरीब ब्यक्ति जिन्दा तो नंगा भी रह सकता है लेकिन एक मुर्दे यानि इसके बीटा जो मर गया था उसको बिदाई यानि अँतिम सँस्कार के लिए तो कम से कम एक उजला धोती तो चाहये ही होता है यही इस पाठ में लेखक बताया है
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यहाँ लेखक ने कह रहा है कि गरीब ब्यक्ति जिन्दा तो नंगा भी रह सकता है लेकिन एक मुर्दे यानि इसके बीटा जो मर गया था उसको बिदाई यानि अँतिम सँस्कार के लिए तो कम से कम एक उजला धोती तो चाहये ही होता है यही इस पाठ में लेखक बताया है
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