पाठ पर आधारित
(१) पल्लवन की प्रक्रिया पर प्रकाश डालिए।
Answers
Answer:
(१) विषय को भली-भाँति पढ़ना, समझना, ध्यान केंद्रित करना, अर्थ स्पष्ट होने पर पुन: सोचना ।
(२) विषय की संक्षिप्त रूपरेखा बनाना, उसके पक्ष-विपक्ष में सोचना, फिर विपक्षी तर्कों को काटने हेतु
तर्कसंगत विचार करना । उसके बाद तर्कसंगत तथा सम्मत विचारों को संयोजित करना तथा असंगत
विचारों को हटाकर अनुच्छेद तैयार करना ।
(३) शब्द पर ध्यान देकर शब्दसीमा के अनुसार पल्लवन करना और अंत में लिखित रूप को पुन: ध्यान
देकर पढ़ना ।
Answer:
पल्लवन की प्रक्रिया के निम्नलिखित सोपान हैं:
(१) सर्वप्रथम मूल विषय के वाक्य, सूक्ति, काव्यांश अथवा कहावत को भली-भाँति पढ़ा जाता है। उनके भाव को समझने का प्रयास किया जाता है। उन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। अर्थ स्पष्ट होने पर एक बार पुनः विचार किया जाता है।
(२) पल्लवन करने से पूर्व मूल तथा गौण विचारों को समझ लेने के बाद विषय की संक्षिप्त रूपरेखा बनाई जाती है । मूल तथा गौण विचारों के पक्ष-विपक्ष में भली प्रकार सोचा जाता है। फिर विपक्षी तर्कों को काटने के लिए तर्कसंगत विचारों को एकत्रित किया जाता है। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कोई भी भाव अथवा विचार छूटने न पाए । उसके बाद संगीत विचारों को हटाकर तर्कसंगत विचारों को संयोजित किया जाता है।
(३) शब्द सीमा को ध्यान में रखते हुए सरल और स्पष्ट भाषा में पल्लवन किया जाता है। पल्लवन लेखन में वाक्य छोटे होते हैं। लिखित रूप को पुनः ध्यानपूर्वक पढ़ा जाता है | पल्लवन विस्तार में लिखा जाता है। पल्लवन लेखन में परोक्ष कथन, भूतकालिक क्रिया के माध्यम से सदैव अन्य पुरुष में लिखा जाता है। पल्लवन में लेखक के मनोभावों का ही विस्तार और विश्लेषण किया जाता है।