पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ , पंडित भया न कोई। isme kon sa alankar hai
Answers
पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ , पंडित भया न कोई।
इसका सही जवाब है :
अनुप्रास
व्याख्या :
अनुप्रास अलंकार का अर्थ है, जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है।
प्रश्न में दी गई पंक्ति में पढ़ि-पढ़ि शब्द की आवृति दो बार हुई है | किसी वर्ण या व्यंजन की एक बार या अनेक वणों या व्यंजनों की अनेक धार आवृत्ति होती है।
Answer:
पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ , पंडित भया न कोई। इसमें अलंकार निम्न है–
Explanation:
अलंकार का शाब्दिक अर्थ है – आभूषण। वाक्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है।
शब्दों के अलंकार के सात रूप है–
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- रूपक अलंकार
- अतिश्योक्ति अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- संदेह अलंकार
उपयुक्त वाक्य में प्रयोग अलंकार – अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार – इस अलंकार में काव्य की सुंदरता बढ़ाने के लिए शब्दों को बार बार दोहराया जाता है ।
जैसे इस वाक्य में पोथि पोथि यह शब्द दो बार आया है।