Hindi, asked by srishtisurya15, 8 months ago

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोई भावार्थ स्पष्ट कीजिए

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Answered by Anonymous
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पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।… ।। हिन्दी मे इसका अर्थ।। ... कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा।

Answered by pchandila464
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Answer:

ककताबी ज्ञाि ककसी को पंडडत िहीं बिा सकता।पंडडत बििे के ललए ककताबी ज्ञाि और ईश्वर–प्रेम आवश्यक है।

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