पोथी पढ़ पढ़ कर भी ज्ञान प्राप्त ना होने से कवि का क्या तात्पर्य है
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पोथी पढ़ पढ़ कर भी ज्ञान प्राप्त ना होने से कवि का क्या तात्पर्य है :
उत्तर : कबीर जी समझाते है कि जीवन में पोथी पढ़ पढ़ कर भी ज्ञान प्राप्त नहीं होता | मनीषी अपने जीवन में कितना भी किताबें पढ़ ले , वह सफलता जरुर प्राप्त कर सकता है लेकिन वह वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर पाता है |
ईश्वर को प्राप्त करने के लिए किताबे काम नहीं आती | ईश्वर की प्राप्ति पुस्तकीय ज्ञान या पोथियाँ पढ़ने से नहीं हो सकती । ईश्वर मनुष्य को तभी मिलते है जब वह ईश्वर की भक्ति सच्चे मन स करता है , सारी दुनिया का मोह-लाभ छोड़ कर अपने आप को ईश्वर की भक्ति में समर्पित कर देता है |
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पोथियाँ निरर्थक हैं
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