Hindi, asked by Ashishrvema, 2 months ago

पोथी पढ़ने में क्या व्यंग है​

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Answered by Anushkaengineer13
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i don,t know

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Answered by bhatiamona
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पोथी पढ़ने में क्या व्यंग है​

पोथी के पढ़ने में यह व्यंग्य है कि पोथी पढ़ कर यह दुनिया वाले विद्वान नहीं बन जाते, बल्कि विद्वान बनने के लिए केवल ढाई अक्षर प्रेम के जानने जरूरी होते हैं।

व्याख्या :

कबीरदास कहते हैं कि

पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ,

पंडित भया न कोय,

ढाई आखर प्रेम के,

पढ़े सो पंडित होय

यानि कि लाख धर्म ग्रंथ किताबें वगैरह कुछ भी पढ़ लो, लेकिन विद्वान नहीं बन सकते। जिसने प्रेम के ढाई अक्षर के भाव को समझ लिया। वही सबसे बड़ा विद्वान है।

कबीर दास का यहां पर कहने का तात्पर्य यह है कि प्रेम, स्नेह, विनम्रता की सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

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