पाठ से आगे तारे आकाश दिए गए शब्दों का उपयोग करते हुए स्वरचित कविता बनाकर काव्यमंच पर पर्वत प्रस्तुत कीजिए। नदी पृथ्वी
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परवत कहता शीश उठाकर तुम ही उॅचे बन जाओ।तारे कहते उॅचा उठकर अपना परकाश फैलाओ।नदिया कहती दीन दुखियो के ६त्र ६ाया बनकर मडराओ।
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