India Languages, asked by ammy1723, 7 months ago

पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ
कस्मिश्चित् वने खरनखरः नाम सिंहः प्रतिवसति स्म। सः कदाचित् इतस्ततः परिभ्रमन् क्षुधार्तः न किञ्चिदपि आहारं प्राप्तवान्। ततः सूर्यास्तसमये एकां महतीं गुहां दृष्ट्वा सः अचिन्तयत्-‘‘नूनम् एतस्यां गुहायां रात्रौ कोऽपि जीवः आगच्छति। अतः अत्रैव निगूढो भूत्वा तिष्ठामि" इति।

शब्दार्थ : कस्मिश्चित्-किसी। वने-जंगल में। प्रतिवसति स्म-रहता था। कदाचित्-किसी समय। परिभ्रमन्-घूमता हुआ। क्षुधार्तः-भूख से व्याकुल। किञ्चिदपि-किसी भी (कोई भी)। आहारम्-भोजन को। सूर्यास्तसमये-दिन छिपने के समय। महतीम्-बड़ी। गुहायाम्-गुफा में। निगूढो भूत्वा-छिपकर। तिष्ठामि-ठहरता हूँ।

सरलार्थ : किसी वन (जंगल) में खरनखर नामक शेर रहता था। किसी दिन इधर-उधर घूमते हुए भूख से पीड़ित उस ने कुछ भी भोजन प्राप्त नहीं किया। उसके बाद दिन छिपने के समय एक बड़ी गुफा को देखकर उसने सोचा-‘निश्चित रूप से इस गुफा में रात में कोई प्राणी आता है। इसलिए यहीं छिपकर ठहरता हूँ (रहता हूँ।"

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Answered by aD4U
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यह बहुत लंबा सवाल है प्रिय। ok

Answered by flowersandflowers37
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