पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ |
सुपूर्णं सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डे
नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्।
इयं स्वर्णवद् भाति शस्यैर्धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥
शब्दार्थ : सुपूर्णम्-भरा हुआ। सदैव-सदा ही। अस्ति-है। खाद्यान्नभाण्डम्-खाने योग्य अन्न का भंडार। पीयुषतुल्यम्-अमृत जैसा। स्वर्णवद्-सोने की तरह। भाति-शोभा देता है। शस्यैः-फसलों से। धरा-धरती। इयम्-यह। क्षितौ-धरती पर। राजते-शोभा देती है। भारतस्वर्णभूमिः- भारत की सोने जैसी धरती।
सरलार्थ : जहाँ खाद्यान्नों का भंडार सदा ही भरा रहता है, जहाँ नदियों का जल अमृत के तुल्य है। यह धरती (अपनी) फसलों से सोने की तरह शोभा पाती है। यह भारत की स्वर्णभूमि धरती पर सुशोभित हो रही है।
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