Hindi, asked by theis9911, 4 months ago

पाठा दिए जल उठे के आधार पर बताइये किन किन जीवन मूल्यों को अपनाकर कठिन परिस्थितियों में सभी सफलता प्राप्त की जा सकती है।​

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

sorry I didn't know ki aap kis syllabus ka bol rahe ho

Answered by suchitrasuresh99
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Explanation:

इस पाठ में लेखक गाँधी जी द्वारा नमक कानून तोड़ने की यात्रा की तैयारी का वर्णन कर रहा है। लेखक कहता है कि रास के पास ही एक बूढ़े बरगद का पेड़ था जिसने दांडी कूच की तैयारी का पूरा दृश्य देखा था। दांडी कूच के बारे में बताता हुआ लेखक कहता है कि दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में वल्लभभाई पटेल सात मार्च को रास पहुँचे थे। वल्लभभाई पटेल ने लोगों से पूछा कि क्या वे सभी सत्याग्रह के लिए तैयार हैं? जब वल्ल्भभाई पटेल लोगों को भाषण दे रहे थे उसी बीच फ़ौजदारी अदालत के अफ़सर ने मनाही का आदेश लागू कर दिया और पटेल को गिरफ़्तार कर लिया गया। उनकी यह गिरफ़्तारी स्थानीय कलेक्टर शिलिडी के आदेश पर हुई थी, जिसे पटेल ने पिछले आंदोलन के समय अहमदाबाद से भगा दिया था। लेखक कहता है कि वल्लभभाई को पुलिस पहरे में बोरसद की अदालत में लाया गया था, जहाँ पर वल्लभभाई ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। जब वल्लभभाई ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था तब जज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह उन्हें कौन सी धारा के तहत, कितनी सजा दे। साबरमती आश्रम में गांधी को पटेल की गिरफ्तारी, उनकी सजा और उन्हें साबरमती जेल लाए जाने की सूचना दी गई। समय का अनुमान लगाकर गांधी जी खुद आश्रम से बाहर निकल आए। उनके पीछे-पीछे सब आश्रमवासी बाहर आ गए और बाहर आकर सड़क के किनारे खड़े हो गए ताकि वे पटेल को जेल जाने से पहले एक बार देख सकें। पटेल को जेल ले जाने वाली मोटर आश्रम के बाहर रुकी। गांधी और पटेल सड़क पर ही मिले। उन दोनों की एक छोटी सी मुलाकात हुई। पटेल ने कार में बैठते हुए आश्रमवासियों और गांधी से कहा था कि वह तो अब जा रहें हैं अब बाकि काम को पूरा करने की जिम्मेबारी उन सभी की है। सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी के बाद सत्याग्रहियों ने अपनी ओर से हर मुश्किल को पार करने की तैयारी पूरी तरह से कर ली थी। अब्बास तैयबजी भी रास पहुँच चुके थे ताकि यदि किसी कारण से गांधी की गिरफ्तारी होती है तो उस स्थिति में वे कूच का नेतृत्व कर सकें। जब गाँधी जी रास पहुँचे तो वहाँ पर गांधी जी का बहुत ही शानदार स्वागत हुआ। गाँधी जी के स्वागत में दरबार समुदाय के लोग इसमें सबसे आगे थे। दरबार गोपालदास और रविशंकर महाराज भी गांधी जी के स्वागत के लिए वहाँ मौजूद थे।

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