पाठ दोहे में जो दोहे आपको बहुत अच्छा लगा हो , उसके मुख्य भाव पर आधारित कहानी लिखिए
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शेखर एक छोटा लड़का था | वह अपने गांव में बूढ़ी मां के साथ झोपड़ी में रहता था | उसकी झोपड़ी के पास ही रेलवे स्टेशन था |
बरसात के दिन थे | मूसलाधार बारिश हो रही थी |इतने में जोर की आंधी चल पड़ी और तूफान आ गया | तूफान ने तांडव मचाया आसपास के कई गांव के मकानों के छप्पर उड़ गए | कुछ पेड़ तथा झोपड़ियां भी धराशायी हो गए | इसी समय पटरी की तकनीकी खराबी के कारण जो ट्रेन वहाँ से गुजरती थी | उसका उसी गाँव में एक्सीडेंट हो गया जिसमें कई लोग घायल हो गए | इन घायलों को इतनी रातमें त्वरित अस्पताल ले जाना संभव न था | लोग पास के घरों में घायलों को पहुंचा रहे थे | गाड़ी में जो भी डॉक्टर थे वो तत्काल अपनी सेवाएँ घरेलू उपलब्ध साधनों के माध्यम से प्रदान कर रहे थे |
ऐसे समय शेखर ने कई लोगों को अपने घर में आश्रय प्रदान किया | उसके बाजू एक बड़ी हवेली थी वहां भी कई लोगों ने एक रात के आश्रय के लिए गुहार लगाई किंतु उस हवेली के लोगों ने अपने घर के दरवाजे यह कहकर बंद कर दिए कि हम अनजान लोगों को आश्रय नहीं दे सकते | जबकि शेखर और उसकी मां अभाव ग्रस्त होने पर भी सारी रात लोगों की मदद का इंतजाम करते रहे उनके पास जो भी साधन थे उससे उन्होंने घायल लोगों की तथा अन्य लोगों की भरपूर मदद की ।
उस एक्सीडेंट में मेरे भी कुछ रिश्तेदार थे | मैं उन्हें लेने सुबह पहुंचा तो उन्होंने शेखर और शेखर की मां की बहुत तारीफ की और बताया कि कैसे उन्होंने सबकी मदद की | जबकि शेखर के पड़ोस में सभी साधनों से संपन्न अमीर लोगों ने तो अपने दरवाजे ही बंद कर दिए ।
वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने शेखर और उसकी माँ की बहुत सराहना की और शेखर को इनाम के तौर पर कुछ धन देने की पेशकश की मगर उन माँ -बेटे ने ये कहकर इंकार किया कि ये तो मानवता के नाते हमारा फर्ज़ था तब मुझे रहीम का यह दोहा याद आया "धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पियत अघात | उदधि बड़ाई कौन है जगत पिया सो जात" ( पाठ में यह दोहा मुझे बहुत अच्छा लगा | जिसका मूलभाव है कि वस्तु का मूल्यांकन उसके आकार -प्रकार पर नहीं करना चाहिए अपितु उसकी उपयोगिता के आधार पर ही करना चाहिए |) (दोहे का अर्थ --समुद्र की जलराशि अपार होने पर भी किसी के पीने योग्य नहीं होती संसार उसके सामने से प्यासा लौटता है जबकि छोटे से तालाब (कीचड़ ) से भी छोटे से जीव की प्यास बुझती है इसलिए रहीम ने उस पंक को धन्य कहा है |)