पाठ- दुख का अधिकार
लेखक और दुकानदार के बीच
संवाद
Answers
Explanation:
अजय – नमस्कार भाई साहब, शायद आप दिल्ली के बाहर से आए हैं।
लेखक– नमस्कार भाई, ठीक पहचाना तुमने, मैं हरियाणा से आया हूँ।
अजय – मैं भी अलवर से आया हूँ। तुम यहाँ कैसे?
लेखक– दिल्ली आया था। सोचा सवेरे-सवेरे यमुना में स्नान कर लेता हूँ पर
अजय – कल मेरा यहाँ साक्षात्कार था और आज कुछ और काम था। मैं भी यहाँ स्नान के लिए आया था।
लेखक– इतनी गंदी नदी में कैसे नहाया जाए?
अजय – मैंने भी यमुना का बड़ा नाम सुना था, पर यहाँ ती उसका उल्टा निकला।
लेखक– इसका पानी तो काला पड़ गया है।
अजय – फैक्ट्रियों और घरों का पानी लाने वाले कई नाले इसमें मिल जाते हैं न।
लेखक– देखो, वे सज्जन फूल मालाएँ और राख फेंककर पुण्य कमा रहे हैं।
अजय – इनके जैसे लोग ही तो नदियों को गंदा करते हैं।
लेखक– सरकार को नदियों की सफ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
अजय – केवल सरकार को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला। हमें खुद सुधरना होगा।
लेखक– ठीक कहते हो। यदि सभी ऐसा सोचें तब न।
अजय – यहाँ की शीतल हवा से मन प्रसन्न हो गया। अब चलते हैं।
लेखक– ठीक कहते हो। अब हमें चलना चाहिए।
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