पाठ 'धूल' अभ्यास कार्य
1. इस लेख को लिखने के पीछे लेखक का मल उददेश्य क्या रहा होगा?
2. लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है और क्यों ?
3. शहरी सभ्यता वाले धूल से दूर क्यों रहना चाहते हैं? इससे उनकी सोच के
बारे में क्या पता चलता है ?
4. मिट्टी और धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
5. हम चमकते हुए तथा खरादे हुए हीरे को ही क्यों पसंद करते हैं ?
6. श्रधा , भक्ति तथा स्नेह की व्यंजना के लिए धूल ही सर्वोत्तम साधन क्यों
7. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है ?
8. धूल, धूलि, धूरि, गोधूलि व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिये .
9. पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिये.
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में लिखिए -
10. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
11.'हीरा वही घन चोट न टूटे' -का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
12.कविता को विडंबना मानते हए लेखक ने क्या कहा है?
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए
Question 1: हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?
उत्तर: हीरे के प्रेमी उसे वैसे रूप में पसंद करते हैं जब हीरा तराशा हुआ हो और चमकदार हो।
Question 2: लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
उत्तर: लेखक ने किसी शिशु के धूल से सने चेहरे की सुंदरता निहारने के सुख को दुर्लभ माना है।
Question 3: मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?
उत्तर: मिट्टी की आभा धूल है। मिट्टी की पहचान धूल से होती है।
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