Hindi, asked by bhavi1852, 7 months ago

. पृथ्वी अपनी आरंभिक अवस्था में कैसी थी? please tell correct ha no wrong answer plese i am reminding ​

Answers

Answered by Nilarghya
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Explanation:

पृथ्वी अपनी आरंभिक अवस्था में बहुत ही गरम थी .

उस पर अगर कोई पैर रखे तो वह जल जाती थी यानी कि वह पूरा ही सूरज की तरह इतनी गरम थी .

उम्मीद है कि आपको मेरा प्रश्न का उत्तर अच्छा लगा प्लीज मुझे देनी है स्मार्ट कीजिए और यानी कि मुझे थैंक्स भी बोलिए

plz follow also.

Answered by aryasngh
2

पृथ्वी के आरंभिक काल में परिस्थितियां आज की स्थितियों से पूरी तरह से अलग थीं। वायुमण्डल में हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, अमोनिया और मीथेन का बोलबाला था पर यह गैसीय आवरण झीना था। आज के जीवन को कायम रखने वाली ऑक्सीजन का अंश भी उस समय नहीं था। समय के साथ-साथ जलवाष्प सघन हुए और समुद्रों का निर्माण हुआ परन्तु इनका पानी शुरूआती दौर में गरम हुआ करता था। विशालकाय ज्वालामुखी अपने अंदर से राख और लावा उगलते रहते थे और पराबैंगनी किरणों की प्राणघातक मात्रा नए ग्रह पर कहर ढा रही थी। सभी परिस्थितियां जीवन के प्रतिकूल थीं, परन्तु धीरे-धीरे स्थितियां बदलीं।

ऐसा माना जाता है कि वायुमण्डलीय गैसों, जलवाष्प, पराबैंगनी विकिरणों और कड़कती बिजली से प्राप्त विद्युत आवेश के परस्पर सम्पर्क में आने से शर्करा, वसा, न्यूक्लिक अम्ल और अमीनो अम्लों जैसे अधिक संश्लिष्ट अणुओं का रासायनिक संश्लेषण हुआ। धीरे-धीरे, लाखों वर्षों के बीतने के साथ, इन रसायनों की मात्रा बढ़ती चली गई। इन अणुओं के बीच आपस में और एक दूसरे के बीच अधिकाधिक पारस्परिक क्रियाएं होती रहीं और जल्द ही इनकी सान्द्रता उस स्तर पर पहुंच गई जिसे डार्विन ने ‘एक छोटा गर्म तालाब’ कहा था या जिसे ‘प्राइमोर्डियल सूप’ या मूल रस कहा गया।

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