English, asked by shreejaKokate, 1 month ago

पृथ्वी हमारे गुरु essay in Hindi​

Answers

Answered by vipul12320
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Answer:

प्रस्तावना :

पृथ्वी यह एक बहुत बड़ा ग्रह है | पृथ्वी यह एक ऐसा ग्रह है जहा पर मानव अपना जीवन जी सकता है | इस ग्रह पर सब चीजे उपलब्ध है | पृथ्वी पर हर मनुष्य को पिने के लिए पानी भी मिलता है |

पृथ्वी इस ग्रह पर पूरी मनुष्य जाती, प्राणी, पशु – पक्षी और अन्य कीटकों का भी अस्तित्व है | पृथ्वी ने मनुष्य को जीवन जीने के लिए बहुत सारी चीजे उपलब्ध करके दी है |

लेकिन हर मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए हर एक मनुष्य सभी चीजों का दुरूपयोग कर रहा है | मनुष्य पुरे पर्यावरण का नाश कर रहा है |

पृथ्वी दिवस

हमारे देश में हर साल २२ अप्रैल १९७० को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है | इस पृथ्वी दिवस की शुरुवात ‘अमरीकी सिनेटर गेलार्ड नेलसन’ ने की है | इन्होने सबसे पहिले अमेरीकी के होने वाले औद्योगिक विकास के कारण पर्यावरण पे होने वाले दुष्परिणामों पर अमरीकी का लक्ष्य केन्द्रित किया था |

इन्होने पुरे अमेरीकी समाज को एकसाथ करके जो जैवविविधता नष्ट रों रही थी और पर्यावरण को बचाने के लिए सभी ने संघर्ष किया था | सन १९७० से इस पृथ्वी दिवस की शुरुवात हुई थी | और आज भी दुनिया में बहुत सारे लोग पृथ्वी दिवस को मनाते है |

जंगलों का नाश

मनुष्य को पर्यावरण से बहुत चीजे मिलती है | उसको पर्यावरण से प्राकृतिक संसाधने भी मिलती है | लेकिन मनुष्य उसका दुरूपयोग करने लगा है | मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए वृक्षों का नाश कर रहा है | इसके कारण पर्यावरण दूषित हो रहा है |

मनुष्य जंगलों की कटाई कर रहा है इसलिए ग्लोबल वार्मिंग की समस्या निर्माण हो गयी है | जिसके कारण बहुत सारे रोगों की उत्पत्ति हो रही है | हम सभी को पर्यावरण को सुरक्षित रखना होगा |

प्रदुषण

इस धरती पर बहुत प्रकार के प्रदुषण हो रहे है | सभी को प्रदुषण होने से रोकना होगा | प्रदुषण के कारण अन्य प्रकार के पशु और पक्षियों की प्रजाति नष्ट हो रही है |

उसके साथ साथ बहुत सारे प्राणी की प्रजाति भी विलुप्त हो रही है | हमें प्रदुषण को रोकना होगा और पर्यावरण के संतुलन को बनाके रखना होगा |

पृथ्वी को बचाने के तरीके

पृथ्वी को बचाने के लिए सभी को प्रयास करना होगा | जंगलों की कटाई नही करनी चाहिए | हम सभी को पानी का उपयोग भी कम करना चाहिए |

पानी ज्यादा बर्बाद नही करना चाहिए | वनों को बचाने के लिए हम सभी को ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिये | हमें अपने वातावरण को और जलचक्र को संतुलित रखना होगा |

निष्कर्ष :

भारत सरकारने जल बचाओ, पर्यावरण बचाओ, पृथ्वी बचाओ इनके साथ साथ पृथ्वी पर अच्छा जीवन जीने के लिए बहुत प्रभावी कदम उठाया है |

इस पृथ्वी के बिना पुरे ब्रह्मांड में कोई भी अपना जीवन नही जी सकता है | इसलिए हमें इस धरती को संभाल कर रखना होगा | जब हम पृथ्वी को सुरक्षित रखेंगे तब हमारी पृथ्वी सुरक्षित रहेगी |

Explanation:

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Answered by ItzAshleshaMane
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पंकज शुक्ला

मनुष्य के जन्म से भी पहले से उसकी गुरु है प्रकृति। वह अनगिनत आंखों, हाथों और मन से मनुष्य को कुछ न कुछ सिखाती चली आ रही है। वह गुरु होने के साथ-साथ मां और बाप भी है। वह रक्षक भी है और न्यायाधीश भी है।

वह गति और विकास का व्याकरण सिखाती है। उसे छेड़ा तो वह विनाश का सबक भी सिखाती है। प्रकृति गुरु हमे पंच रूपों में शिक्षित करती है। इस महागुरु के आगे मनुष्य सदा नतमस्तक है।

जल : जल के रूप में प्रकृति सिखाती है बहना ... जलके रूप में प्रकृति प्रगति और प्रवाह का ककहरा सिखाती है। पानी बताता है कि हमे हर बाधा को पार करते हुए चलना है जैसे नदी चलती है पत्थरों, अवरोधों में, कभी रूक कर, कभी सकुचा कर तो विराट रूप धर कर, कभी सीधी तो कभी राह बदल कर। जल जीवन का पर्याय है। ठीक उसी तरह, जिस तरह ज्ञान सभ्यता का पर्याय है।वायु : वायु के रूप में प्रकृति देती है सीख, सीमाओं में रहकर जीने की, ताकि चलता रहे जीवन, न हो कोई अनर्थ ...

वायु का अर्थ वेग भी है। यह गुरु जब अपनी सीमा तोड़ती है तो आंधी बन जाती है। मनुष्य जब सीमा तोड़ता है तो जीवन में भूचाल आता है।

पृथ्वी : धरा की तरह धैर्य रखने अौर दृढ़ता की शि‍क्षा देती है प्रकृति... पंच महाभूतों में से एक पृथ्वी के बारे में कहा गया है कि हमारे शरीर में जितना ठोस हिस्सा है वह पृथ्वी है। पृथ्वी सीख देती है कि डटे रहो। धैर्य मत त्यागो। स्थिर रहना पृथ्वी का गुण है। अपने लक्ष्य और निर्णय पर अडिग रहने का गुण सफल व्यक्तित्व का आधार है।

आग : आग से सिखाती है प्रकृति, अपनी उर्जा का सही उपयोग करना और अति उत्साही न होना ...आग यानी ऊर्जा। आग का पैमाना बिगड़ा तो दावानल होता है। इसी तरह किसी भी कार्य में अति उत्साह या ज्यादा ऊर्जा लगाना उस काम को बिगाड़ देता है। खाना बनाने के लिए ऊर्जा की मात्रा भी अलग-अलग होती है। इसी तरह हमें यह सीखना होगा कि कहां कितनी ऊर्जा निवेश करें।

आकाश : प्रकृति सिखाती है, आकाश खुलकर उड़ना, लेकिन कभी न भटकना ...

आकाश का अर्थ है विस्तार। जीवन को आसमान जितना विस्तार देना संभव है यह उम्मीद हमें आकाश को देख मिलती है। विज्ञान कहता है कि ग्रह गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक नियम में बंधे हुए हैं। इसी तरह आकाश जितने विस्तार पाते हुए हम भटक न जाए इसलिए जरूरी है कि हम अपने उद्देश्य को न भूलें।

वायु : वायु के रूप में प्रकृति देती है सीख, सीमाओं में रहकर जीने की, ताकि चलता रहे जीवन, न हो कोई अनर्थ ...वायु का अर्थ वेग भी है। यह गुरु जब अपनी सीमा तोड़ती है तो आंधी बन जाती है। मनुष्य जब सीमा तोड़ता है तो जीवन में भूचाल आता है।

पृथ्वी : धरा की तरह धैर्य रखने अौर दृढ़ता की शि‍क्षा देती है प्रकृति... पंच महाभूतों में से एक पृथ्वी के बारे में कहा गया है कि हमारे शरीर में जितना ठोस हिस्सा है वह पृथ्वी है। पृथ्वी सीख देती है कि डटे रहो। धैर्य मत त्यागो। स्थिर रहना पृथ्वी का गुण है। अपने लक्ष्य और निर्णय पर अडिग रहने का गुण सफल व्यक्तित्व का आधार है।

आग : आग से सिखाती है प्रकृति, अपनी उर्जा का सही उपयोग करना और अति उत्साही न होना .. आग यानी ऊर्जा। आग का पैमाना बिगड़ा तो दावानल होता है। इसी तरह किसी भी कार्य में अति उत्साह या ज्यादा ऊर्जा लगाना उस काम को बिगाड़ देता है। खाना बनाने के लिए ऊर्जा की मात्रा भी अलग-अलग होती है। इसी तरह हमें यह सीखना होगा कि कहां कितनी ऊर्जा निवेश करें।

आकाशः प्रकृति सिखाती है, आकाश खुलकर उड़ना, लेकिन कभी न भटकना ...आकाश का अर्थ है विस्तार। जीवन को आसमान जितना विस्तार देना संभव है यह उम्मीद हमें आकाश को देख मिलती है। विज्ञान कहता है कि ग्रह गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक नियम में बंधे हुए हैं। इसी तरह आकाश जितने विस्तार पाते हुए हम भटक न जाए इसलिए जरूरी है कि हम अपने उद्देश्य को न भूलें।

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