पृथ्वी के पास सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन है लेकिन एक व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है यह कथन से विकास की चर्चा के लिए किस प्रकार प्रसांगिक है चर्चा कीजिए
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Answer with explanation:भारत के महान नैतिक नेता गांधी जी ने कहा कि पृथ्वी पर हर किसी की ज़रूरत के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन हर किसी के लालच के लिए नहीं। पृथ्वी एक सुंदर ग्रह है। इसके पास जरूरत को पूरा करने के लिए संसाधन हैं। लेकिन लोग इसके महत्व को नहीं समझ रहे हैं।
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पृथ्वी के पास सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन है लेकिन एक व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है यह कथन से विकास की चर्चा के लिए निम्न प्रकार से प्रसांगिक है।
- पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के साधन उपलब्ध है जिनका प्रयोग मनुष्य अपनी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए करता है।
- यह साधन तब संसाधन बन जाते है परन्तु ये सारे संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। यदि हम इनका प्रयोग बुद्धिमत्ता से करेंगे तो हमारी सारी आवश्यकताएं पूर्ण हो जाएंगी।
- इन संसाधनों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा इनका प्रयोग निरंतर नहीं किया जा सकता। यदि हम इनका दुरुपयोग नहीं करेंगे तो विकास कार्य निरंतर जारी रखा जा सकता है किन्तु यदि निजी स्वार्थ के लिए मानव इनका प्रयोग करता है तो ये एक व्यक्ति के लाभ को भी पूरा नहीं कर पाएंगे।
- इन संसाधनों का अंधाधुंध प्रयोग करने से ये समाप्त हो जायेंगे। अनवीकरणीय जो संसाधन सीमित है उनका प्रयोग सोच समझकर करना होगा वरना आने वाली पीढ़ी के लिए ये संसाधन उपलब्ध नहीं होंगे। हमें भविष्य के बारे में सोचना होगा।
- अतः उपरोक्त कथन से हमें यह सीख मिलती है कि प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग केवल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाना चाहिए , अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं अन्यथा ये साधन समाप्त हो जायेंगे तथा विकास कार्य रुक जाएगा।
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