पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप में भिन्नता के कारणों का वर्णन करिए।
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व्याख्याः सूर्य की किरणों का नति कोण, पृथ्वी का अपनी अक्ष पर घूमना, दिन की अवधि, स्थल विन्यास और वायुमंडल की पारदर्शिता ये सभी सूर्यातप में होने वाले इस परिवर्तन के लिये उत्तरदायी कारक हैं।
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उत्तर:पृथ्वी सूर्य से बहुत छोटी है और यह सूर्य से बहुत दूर है। इसके अतिरिक्त वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प, धूलकण, ओज़ोन तथा अन्य गैसे सूर्यातप की कुछ मात्रा को सोख लेती हैं।पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाली सूर्याताप की मात्रा सूर्य से विकिरित ताप की मात्रा से बहुत ही कम होती है
व्याख्या:
भूमध्य रेखा से दूरी- सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लगभग पूरे वर्ष लम्बवत् पड़ती हैं जिस कारण वहाँ पर सूर्यातप अधिक प्राप्त होता है। इसके विपरीत भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सूर्य की किरणें तिरछी हो जाती हैं। अत: वहाँ पर सूर्यातप कम प्राप्त होता है।
निष्कर्ष:भूमध्य रेखा से दूरी- सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लगभग पूरे वर्ष लम्बवत् पड़ती हैं जिस कारण वहाँ पर सूर्यातप अधिक प्राप्त होता है।
व्याख्या:
भूमध्य रेखा से दूरी- सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लगभग पूरे वर्ष लम्बवत् पड़ती हैं जिस कारण वहाँ पर सूर्यातप अधिक प्राप्त होता है। इसके विपरीत भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सूर्य की किरणें तिरछी हो जाती हैं। अत: वहाँ पर सूर्यातप कम प्राप्त होता है।
निष्कर्ष:भूमध्य रेखा से दूरी- सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लगभग पूरे वर्ष लम्बवत् पड़ती हैं जिस कारण वहाँ पर सूर्यातप अधिक प्राप्त होता है।
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