Hindi, asked by roohiatif, 1 month ago

पृथ्वी के उज्जवल भविष्य के सुझाव​

Answers

Answered by Anonymous
7
  • प्रश्न 1 : सद्‌गुरु, संघर्षों और विपत्तियों से भरे हुए इस विश्व में आप, एक ज्यादा शांतिमय तथा सामंजस्यपूर्ण विश्व बनाने में भारत की ख़ास विशेषताओं की क्या भूमिका देखते हैं ?
  • प्रश्न 1 : सद्‌गुरु, संघर्षों और विपत्तियों से भरे हुए इस विश्व में आप, एक ज्यादा शांतिमय तथा सामंजस्यपूर्ण विश्व बनाने में भारत की ख़ास विशेषताओं की क्या भूमिका देखते हैं ?सद्‌गुरु : यह दुनिया सिर्फ एक ग्रह नहीं है। दुनिया का अर्थ है, इसके लोग। अगर आप वास्तव में शांति के लिये चिंतित हैं, तो बदलाव की ज़रूरत व्यक्तिगत स्तर पर है। शांत लोग एक शांत विश्व का निर्माण करते हैं। तो, हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में हमें ज़रूरत है शांति की संस्कृति की - कैसे लोग अपने शरीर को, अपने मन को, और साथ ही अपनी भावनाओं और ऊर्जाओं को एक शांतिमय अवस्था में बनाये रख सकते हैं!
  • प्रश्न 1 : सद्‌गुरु, संघर्षों और विपत्तियों से भरे हुए इस विश्व में आप, एक ज्यादा शांतिमय तथा सामंजस्यपूर्ण विश्व बनाने में भारत की ख़ास विशेषताओं की क्या भूमिका देखते हैं ?सद्‌गुरु : यह दुनिया सिर्फ एक ग्रह नहीं है। दुनिया का अर्थ है, इसके लोग। अगर आप वास्तव में शांति के लिये चिंतित हैं, तो बदलाव की ज़रूरत व्यक्तिगत स्तर पर है। शांत लोग एक शांत विश्व का निर्माण करते हैं। तो, हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में हमें ज़रूरत है शांति की संस्कृति की - कैसे लोग अपने शरीर को, अपने मन को, और साथ ही अपनी भावनाओं और ऊर्जाओं को एक शांतिमय अवस्था में बनाये रख सकते हैं!हमारी संस्कृति में, कुछ पीढ़ियों पहले, हर व्यक्ति के जीवन में कुछ सरल प्रक्रियायें होती थीं जो उनकी आतंरिक खुशहाली का ख्याल रखती थीं। दुर्भाग्यवश, आज अगर आप एक शब्द - योग - का उच्चारण करते हैं तो लोगों को बस एक ही ख्याल आता है कि आप को अपने शरीर को तोड़-मरोड़ कर किसी असंभव सी लगने वाले मुद्रा में लाना है। नहीं। योग, एक ख़ास स्तर पर अपने अंदर सही ढंग की रासायनिक स्थिति बनाने का विज्ञान है।
  • प्रश्न 1 : सद्‌गुरु, संघर्षों और विपत्तियों से भरे हुए इस विश्व में आप, एक ज्यादा शांतिमय तथा सामंजस्यपूर्ण विश्व बनाने में भारत की ख़ास विशेषताओं की क्या भूमिका देखते हैं ?सद्‌गुरु : यह दुनिया सिर्फ एक ग्रह नहीं है। दुनिया का अर्थ है, इसके लोग। अगर आप वास्तव में शांति के लिये चिंतित हैं, तो बदलाव की ज़रूरत व्यक्तिगत स्तर पर है। शांत लोग एक शांत विश्व का निर्माण करते हैं। तो, हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में हमें ज़रूरत है शांति की संस्कृति की - कैसे लोग अपने शरीर को, अपने मन को, और साथ ही अपनी भावनाओं और ऊर्जाओं को एक शांतिमय अवस्था में बनाये रख सकते हैं!हमारी संस्कृति में, कुछ पीढ़ियों पहले, हर व्यक्ति के जीवन में कुछ सरल प्रक्रियायें होती थीं जो उनकी आतंरिक खुशहाली का ख्याल रखती थीं। दुर्भाग्यवश, आज अगर आप एक शब्द - योग - का उच्चारण करते हैं तो लोगों को बस एक ही ख्याल आता है कि आप को अपने शरीर को तोड़-मरोड़ कर किसी असंभव सी लगने वाले मुद्रा में लाना है। नहीं। योग, एक ख़ास स्तर पर अपने अंदर सही ढंग की रासायनिक स्थिति बनाने का विज्ञान है।
  • प्रश्न 1 : सद्‌गुरु, संघर्षों और विपत्तियों से भरे हुए इस विश्व में आप, एक ज्यादा शांतिमय तथा सामंजस्यपूर्ण विश्व बनाने में भारत की ख़ास विशेषताओं की क्या भूमिका देखते हैं ?सद्‌गुरु : यह दुनिया सिर्फ एक ग्रह नहीं है। दुनिया का अर्थ है, इसके लोग। अगर आप वास्तव में शांति के लिये चिंतित हैं, तो बदलाव की ज़रूरत व्यक्तिगत स्तर पर है। शांत लोग एक शांत विश्व का निर्माण करते हैं। तो, हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में हमें ज़रूरत है शांति की संस्कृति की - कैसे लोग अपने शरीर को, अपने मन को, और साथ ही अपनी भावनाओं और ऊर्जाओं को एक शांतिमय अवस्था में बनाये रख सकते हैं!हमारी संस्कृति में, कुछ पीढ़ियों पहले, हर व्यक्ति के जीवन में कुछ सरल प्रक्रियायें होती थीं जो उनकी आतंरिक खुशहाली का ख्याल रखती थीं। दुर्भाग्यवश, आज अगर आप एक शब्द - योग - का उच्चारण करते हैं तो लोगों को बस एक ही ख्याल आता है कि आप को अपने शरीर को तोड़-मरोड़ कर किसी असंभव सी लगने वाले मुद्रा में लाना है। नहीं। योग, एक ख़ास स्तर पर अपने अंदर सही ढंग की रासायनिक स्थिति बनाने का विज्ञान है।
  • प्रश्न 1 : सद्‌गुरु, संघर्षों और विपत्तियों से भरे हुए इस विश्व में आप, एक ज्यादा शांतिमय तथा सामंजस्यपूर्ण विश्व बनाने में भारत की ख़ास विशेषताओं की क्या भूमिका देखते हैं ?सद्‌गुरु : यह दुनिया सिर्फ एक ग्रह नहीं है। दुनिया का अर्थ है, इसके लोग। अगर आप वास्तव में शांति के लिये चिंतित हैं, तो बदलाव की ज़रूरत व्यक्तिगत स्तर पर है। शांत लोग एक शांत विश्व का निर्माण करते हैं। तो, हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में हमें ज़रूरत है शांति की संस्कृति की - कैसे लोग अपने शरीर को, अपने मन को, और साथ ही अपनी भावनाओं और ऊर्जाओं को एक शांतिमय अवस्था में बनाये रख सकते हैं!हमारी संस्कृति में, कुछ पीढ़ियों पहले, हर व्यक्ति के जीवन में कुछ सरल प्रक्रियायें होती थीं जो उनकी आतंरिक खुशहाली का ख्याल रखती थीं। दुर्भाग्यवश, आज अगर आप एक शब्द - योग - का उच्चारण करते हैं तो लोगों को बस एक ही ख्याल आता है कि आप को अपने शरीर को तोड़-मरोड़ कर किसी असंभव सी लगने वाले मुद्रा में लाना है। नहीं। योग, एक ख़ास स्तर पर अपने अंदर सही ढंग की रासायनिक स्थिति बनाने का विज्ञान है। योग का अभ्यास कर रहे हैं, वह इसके फायदों की वजह से है। यह वास्तव में काम करता है!
Answered by XxItzking18xX
7

Answer:

\huge{A} \green{n} \red{s} \blue{w} \green{e} \red{r}

  • निबन्ध (Essay) गद्य लेखन की एक विधा है। लेकिन इस शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक और बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए भी किया जाता है। निबंध के पर्याय रूप में सन्दर्भ, रचना और प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है। ... आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार संस्कृत में भी निबंध का साहित्य है।

\huge\purple\sf{\fbox{\fbox \purple{➳ᴹᴿ᭄ \: ąཞყąŋ}}}

Similar questions