Hindi, asked by nirmalalahari94039, 7 months ago

पृथ्वी कहती, धैर्य न छोड़ो,
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ महता है, फैलो इतना,
ढक लो तुम सारा संसार ।।
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Answers

Answered by 88kirandas
7

Explanation:

पृथ्वी कहती तुम कभी धैर्य मत छोड़ो चाहे जो भी हो जाए और सिर पर जितनी भी परेशानी हो, बिलकुल पृथ्वी की तरह जैसे पृथ्वी अपना धैर्य कभी नहीं छोड़ती चाहे उस पर जितनी भी परेशानी हो। आकाश हमें अपने समान महान व्यक्तित्व बनने की प्रेरणा देता है।

Answered by bhatiamona
4

पृथ्वी कहती, धैर्य न छोड़ो,

कितना ही हो सिर पर भार।

नभ महता है, फैलो इतना,

ढक लो तुम सारा संसार ।।

संदर्भ : कवि सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘संदेश’ नामक कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है।

भावार्थ : पृथ्वी कहती है कि तुम पर चाहे किसी भी तरह कितनी भी मुसीबतें आएं, तुम्हारे सिर पर कितना भी भार आए, तुम धैर्य ना छोड़ो। बिल्कुल मेरी तरह, मेरे ऊपर देखो कितना भार है, लेकिन मैं अपना धैर्य नहीं छोड़ती। तुम आकाश की तरह इतना फैलो कि सारे संसार को ढक लो अर्थात तुम अपने सब गुणों का सदुपयोग करके संसार में ऐसा प्रभाव जमाओं कि संसार में तुम्हारा नाम का डंंका बजे।

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