पाठ – विनय के पद
• तुलसीदास
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प्रश्न .1 कवि ने किसे छोड़ने को कहा है और क्यों ?
प्रश्न 2. प्रहलाद कौन था ? उसने अपने पिता का त्याग क्यों किया ?
प्रश्न 3.' नाते नेह राम के मनियत , सुहद सुसेव्य जहां लौ ' पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए ।
प्रश्न 4. तुलसीदास ने अपनी बात समझाने के लिए कौन से उदहारण दिए है ? किसी एक के संबंध में संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए ।
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नोट :
पद इस प्रश्न का इस इन अटैचमेंट ।
Answers
1. कवी कहते है की जिसे श्री राम और माता सीता प्रिय नहीं है, उन्हें शत्रु समझकर उनका त्याग कर देना चाहिए भले ही वह हमे कितने भी प्रिय हो।
2. प्रह्लाद विष्णु भगवान् के बहुत बड़े भक्त है। वह छोटी - सी उम्र से ही भगवान् विष्णु के भक्ति एवं साधना में लग गए थे। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद के पिता थे। हिरण्यकश्यप चाहता था की उसका पुत्र सिर्फ उसकी ही साधना और पूजा करे, परन्तु प्रह्लाद को भगवान् विष्णु की भक्ति एवं साधना बहुत ही प्रिय है। हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद का भगवान् विष्णु के भक्ति एवं साधना बिलकुल भी नहीं पसंद थी और वह भगवन विष्णु को अपना शत्रु मानता था। इसीलिए प्रह्लाद ने अपने पिता का त्याग किया था।
3. तुलसीदास जी कहते है की जिन होने भी श्री राम के भक्ति के लिए अपनों का त्याग किया, जो उनके भगवन के भक्ति में बाधा बन रहे थे। उनका यह त्याग उनके लिए कल्याणकारी सिद्ध हुआ। इन सबका श्री राम के साथ प्रेम सम्बन्ध था और यह सब अच्छे कार्यों के लिए जाने जाते है।
4. तुलसीदास जी कहते है की भक्त प्रह्लाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप का त्याग कर दिया था और विभीषण ने अपने भाई रावण को छोड़ दिया क्योंकि वह अधर्म के मार्ग पर जा रहा था। भारत ने अपनी माँ कैकेयी का त्याग कर दिया था। ब्रज की स्त्रियों ने अपने पति और रिस्तेदारो का त्याग किया क्योंकि वे उनकी भगवन की भक्ति में बाधा बन रहे थे। तुलसीदास जी कहते है की मैं क्या कहुँ, ऐसे काजल का क्या लाभ जिससे आँखें फुट जाये।
Answer: