पृथ्वी पर सर्वप्रथम कैसे जीवों का विकास हुआ ?
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प्रश्न के अनुसार
जीव की उत्पत्ति में ईश्वर की भूमिका को नकार कर प्राकृतिक नियमों के अनुरूप जीव की उत्पत्ति की सर्वप्रथम विवेचना करने का श्रेय चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) को जाता है। अपनी पुस्तक आॅरिजन आॅफ स्पेसीज(Origin of Species) में पृथ्वी पर पाए जाने वाले विभिन्न जीवों की उत्पत्ति को जैवविकास के सिद्धान्त से समझाते हुए चार्ल्स डार्विन, चर्च के डर से, ईश्वर की भूमिका को पूरी तरह नकार नहीं सके थे। अपनी इच्छा के विपरीत डार्विन को यह बहना पड़ा कि ईश्वर ने सभी जीवों को अलग अलग नहीं बना कर एक सरल जीव बनाया तथा वर्तमान सभी जीवों की उत्पत्ति उस एक पूर्वज से, जैव विकास की विधि द्वारा हुई है। अपने मित्रों तथा अन्य जिज्ञासुओं से डार्विन ने अपने विचार की असलियत को नहीं छुपाया।
डार्विन ने जीव की उपपत्ति में ईश्वर की भूमिका को नकारते हुए कहा था कि प्रथम जीव की उत्पत्ति निर्जीव पदार्थों से हुई। 01 फरवरी 1871 को उत्पत्ति को लिखे पत्र में चार्ल्स डार्विन ने संभावना प्रकट कि अमोनिया, फास्फोरस आदि लवण घुले गर्म पानी के किसी गढ्ढे में, प्रकाश, उष्मा, विद्युत आदि के प्रभाव से, निर्जीव पदार्थां से पहले जीव की उत्पत्ति हुई होगी।
डार्विन का सिद्धांत उत्तर है
Explanation:
- विवरण डार्विनवाद अंग्रेजी प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन और अन्य द्वारा विकसित जैविक विकास का एक सिद्धांत है, जिसमें कहा गया है कि जीवों की सभी प्रजातियां छोटे, विरासत वाले रूपों के प्राकृतिक चयन के माध्यम से उत्पन्न होती हैं और विकसित होती हैं, जो व्यक्ति की प्रतिस्पर्धा, जीवित रहने और प्रजनन करने की क्षमता को बढ़ाती हैं।
- विकास को समझना महत्वपूर्ण है।
- विकास को समझना हमें उन जैविक समस्याओं को हल करने में मदद करता है जो हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं।
- चिकित्सा के क्षेत्र में इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- रोगजनक रोगों से एक कदम आगे रहने के लिए, शोधकर्ताओं को रोग पैदा करने वाले जीवों के विकास के पैटर्न को समझना चाहिए।