पृथ्वी सारे संसार का भार सहती है और आकाश जीवन देता है। दोनों में श्रेष्ठता निर्धारित करने के लिए
विज्ञान के दो विद्यार्थियों की परस्पर चर्चा को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
Answers
(संवाद लेखन)
पृथ्वी सारे संसार का भार सहती है और आकाश जीवन देता है
(दो दोस्तो अंकुश और मयंक के बीच पृथ्वी और आकाश की श्रेष्ठता पर चर्चा चल रही है)
अंकुश — मित्र, आज विज्ञान की कक्षा में अध्यापिका ने पृथ्वी और आकाश के विषय में कितनी अच्छी-अच्छी और रोचक बातें बताईं।
मयंक — सच कह रहे दोस्त आज हमें पृथ्वी और आकाश के बारे में कई अच्छी-अच्छी बातें पता चलीं।
अंकुश — तुम्हारी दृष्टि में कौन श्रेष्ठ है?
मयंक — मुझे तो दोनों श्रेष्ठ लगतें हैं दोनों का अपना महत्व है।
अंकुश — तुम सही कह रहे हो। पृथ्वी हमारा भार सहती है। हमें खाने के लिये अन्न, वस्त्र, पानी और आवास देती है।
मयंक — और आकाश हमें वायुमंडल, हवा, प्रकाश देता है।
अंकुश — ये सब जीवन के लिये आवश्यक हैं इसलिये आकाश और पृथ्वी दोनों का अपना महत्व है। इसलिये दोनों श्रेष्ठ हैं।
मयंक — पृथ्वी माता समान है और आकाश पिता समान है इसलिये दोनों को नमन।
Answer:
पवन - मित्र अरविन्द! आज विज्ञान की कक्षा में अध्यापिका ने पृथ्वी और आकाश के विषय में कितनी अच्छी-अच्छी और रोचक जानकारियाँ दीं।
अरविन्द - सत्य कह रहो हो मित्र ! आज हमें पृथ्वी और आकाश के विषय में कई नए तथ्य ज्ञात हुए।
पवन - पृथ्वी कितनी श्रेष्ठ है, कितनी सहनशीलता है उसमें। सबका भार सहन करती है।
अरविन्द - और आकाश भी तो कितना श्रेष्ठ है। यह सभी को जीवन प्रदान करता है। यदि आकाश न हो तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है।
पवन - यदि पृथ्वी हमारा भार न सहती तो क्या होता! हमारे खाने के लिए अन्न व रहने के लिए स्थान - सब पृथ्वी पर उपलब्ध हैं।
अरविन्द - मित्र पवन ! धरती और आकाश की श्रेष्ठता पर बहस करते हुए जमाने गुजर जाएँगे पर ये सिद्ध न हो सकेगा।
पवन - सही कहा मित्र ये दोनों ही अपनी-अपनी जगह श्रेष्ठ हैं।