पाठ-
वन्दनम्
4
श्लोक
जय जय हे
जय हे सुरमारती भलावती,
तव चरणों प्रणमाज :
जादतत्तवमपि जय वागीश्वर
शरणं ते नाच्छामः।।
त्वमसि शरण्या त्रिभुवनधन्या ।
सुरमुनिवन्दिव चरणा।
नवरसमधुरा कविता मुखरा
स्मित रूचिटचिराभारा ॥
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thanks
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for your example
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