पाठ्यांशस्य सारं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत।
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wsat do you mean by this
कार्यं वा साधेयम् देहं वा पातेयम्
हर बार की तरह इस बार भी राजा भोज विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठना चाहता है तभी एक पुतली आकर भोज को रहस्य हासन पर बैठने से रोकते हुए एक कहानी सुनाती है और कहती है कि यदि तुम मैं राजा भोज ऐसी उदारता हो तो इस जहां से ऊपर बैठ सकते हो पुतली द्वारा सुनाई गई कहानी इस प्रकार है-
उत्साह आदि सभी उत्तम गुणों से संपन्न राजा विक्रम ने संसार की सारहीनता पर विचार किया और दान भोग के बिना जीवन को व्यर्थ समझा इसलिए विक्रमादित्य ने सब कुछ दान कर देने के लिए यज्ञ करना आरंभ कर दिया| इसी अवसर पर राजा ने समुद्र को भी आमंत्रित किया।समुद्र ने राजा का निमंत्रण लाने वाले ब्राह्मण के हाथ राजा को उपहार में देने के लिए अलग-अलग शक्ति वाले 4 रत्न भेजें इन चारों रत्नों की विशेषताएं इस प्रकार थी।
पहला रत्न जो वस्तु याद की जाती थी वही वस्तु दे देता था। दूसरा रतन उत्तम भोजन सामग्री पैदा करता था। तीसरा रतन सैन्य बल प्रदान करता था। चौथा रतन दिव्य वस्त्र आभूषण प्रदान करता था।