पाठ्यक्रमकोड: एम एचडी-4
सत्रीय कार्य कोड:एम एच डी-4/टी
1) निम्नलिखित अवतरणों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
क) समष्टि मे ही व्यष्टि रहती है।व्यक्तियों से ही जाति बनती है। विश्व - प्रेम ,सर्वभूत-हित
है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि अपने पर प्रेम न हो, इस अपने ने क्या अन्याय
वहिष्कार हो?
ख) पता नहीं प्रभु है या नही किंतु उस दिन यह सिद्ध हुआ जब कोई भी मनुष्य अनाशक्त हो
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